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भूमाफिया के अवैध निर्माण के मददगार तहसीलदार के भूमिका की जांच करें जिलाधिकारी - हाईकोर्ट

प्रयागराज,
उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत रिश्वत लेकर गांव सभा की भूमि पर भूमाफिया का अवैध निर्माण कराने के मामले में दाखिल जनहित याचिका में माननीय हाई कोर्ट ने संबंधित तहसीलदार ,राजस्व निरीक्षक हरिशंकर श्रीवास्तव और लेखपाल प्रदीप कुमार मौर्य के विरुद्ध अपने दायित्वों के निर्वहन में जानबूझ कर घोर लापरवाही करते हुए भूमाफिया के अवैध निर्माण कार्य में मदद पहुंचाने की जांच जिलाधिकारी को सौंपते हुए एक माह में रिपोर्ट मांगी है। मामला प्रयागराज जिले के सोरांव तहसील अंतर्गत ग्राम माधोपुर चांधन उर्फ घाटमपुर थाना नवाबगंज का है ।उल्लेखनीय है कि महिला ग्राम प्रधान श्रीमती रेखा पाल ने लेखपाल को अवगत कराया कि ग्राम के रामपूजन यादव उर्फ कुल्लन द्वारा सड़क के किनारे निर्माण सामग्री एकत्रित की जा रही है। ग्राम प्रधान के प्रार्थना पत्र पर एसडीएम ने अवैध निर्माण न होने देने का आदेश भी दिया।लेखपाल ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं करी। 21मई 24 को निर्माण कार्य शुरू होते ही प्रधान ने पुनः लेखपाल को सूचना दी लेकिन लेखपाल द्वारा अवैध निर्माण कार्य जाकर रोकने के बजाय ग्राम प्रधान को स्वयं जाकर निर्माण कार्य रूकवाने के लिए कहा। मौके पर दबंग भूमाफिया ग्राम प्रधान से अशिष्ट व्यवहार करते हुए धमकी देने लगा। ग्राम प्रधान को पुलिस बुलानी पड़ी। शांति व्यवस्था कायम रखने हेतु थाना नबाबगंज पुलिस ने रामपूजन और एक अन्य का चालान कर दिया। इस दौरान अतिक्रमण कर्ता द्वारा एक कमरा पर छत और टीन शेड डाल कर निर्माण कर लिया गया,लेकिन लेखपाल निष्क्रिय बना रहा। ग्राम प्रधान ने ही भूमाफिया के विरुद्ध धारा 3/5 सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम में एफआईआर भी दर्ज कराया।नवाबगंज पुलिस ने अपनी एक जांच आख्या तहसील प्रशासन को सौंपी कि अवैध निर्माण करवाने के प्रथमदृष्टया हल्का लेखपाल और राजस्व निरीक्षक दोषी हैं। बार बार ग्राम प्रधान की शिकायत पर तहसीलदार ने अपने मातहत राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के माध्यम से एसडीएम के आदेश के अनुपालन में गांव सभा की भूमि से अतिक्रमण नहीं हटवाया, और अधीनस्थ स्टॉप के प्रभाव में बराबर रहे। फलस्वरूप ग्राम के समाजसेवी सुनील कुमार ने एक याचिका बनाम सरकार दाखिल किया।जिसमें माननीय हाई कोर्ट ने संबंधित तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल की भूमिका को उनकी गंभीर लापरवाही मानते हुए इसकी जांच जिलाधिकारी को सौंपते हुए एक माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। ग्राम प्रधान द्वारा बार बार तहसील में शिकायत की जाती रही लेकिन शिकायत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इस भ्रष्टाचार का असल खुलासा डीएम महोदय के जांच रिपोर्ट माननीय हाई कोर्ट में दाखिल करने के बाद ही हो पाएगा।

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