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सीएम योगी का सराहनीय प्रयास : आईएएस संजय अग्रवाल की रिपोर्ट पर सरकारी विभाग कम होने से विकास कार्याें को मिलेगी गति

उत्तर प्रदेश के पूर्व अपर मुख्य सचिव अपनी कार्यदक्षता तथा उचित निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम प्रशासनिक अधिकारी के रूप में पहचाने जाने वाले संजय अग्रवाल आईएएस के द्वारा तैयार रिपोर्ट की सिफारिश पर अब यूपी में कम होंगे सरकारी विभाग। परिणामस्वरूप इस कड़ी में 95 की संख्या को 54 में समाहित करने के प्रयास शुरू हो गए बताए जाते है।


उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा की गई पहल के क्रम में शुरू की गई इस योजना से जहां आर्थिक फायदे सरकार को होंगे जिनसे विकास कार्याें और जनहित की योजनाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी वहीं आम आदमी के कार्य निस्तारण में आएगी तेजी।


प्रदेश की भाजपा सरकार प्रशासनिक सुधार की ओर बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार ने मौजूदा 95 विभागों का पुनर्गठन कर 54 विभागों में एकीकृत करने की संस्तुतियों पर विचार शुरू कर दिया है। इसके लिए संबंधित विभागों से शीर्ष प्राथमिकता पर 20 जनवरी तक अपनी राय देने को कहा गया है। मौजूदा सरकार ने तीन जनवरी-2018 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में विभागों के पुनर्गठन के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी संस्तुतियों में शासन स्तर पर मौजूदा 95 विभागों का पुनर्गठन कर 57 तक सीमित करने का सुझाव दिया था। समिति की संस्तुतियों पर विचार-विमर्श के बाद विभागों की संख्या 57 की जगह 54 तक सीमित करने पर सहमति बनी।
इस व्यवस्था पर अमल हो इसके पहले पिछले वर्ष रेरा के चेयरमैन व पूर्व मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक नई समिति का गठन किया गया। इस समिति को कर्मचारियों की संख्या के युक्तिकरण, प्रभावशीलता व दक्षता में सुधार तथा उनके उद्देश्यों के आकलन की व्यवस्था पर सुझाव देने को कहा गया। इस समिति ने भी अपनी संस्तुतियों में विभागों के पुनगर्ठन संबंधी संजय अग्रवाल समिति की संस्तुतियों पर अतिशीघ्र निर्णय लेकर कार्यवाही किए जाने की सिफारिश की है। राजीव कुमार समिति ने प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं।


शासन स्तर से समिति के सुझावों व संस्तुतियों पर अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों व सचिवों की राय मांगी गई है। अफसरों से कहा गया है कि वे प्रस्तावित कार्यवाही के संबंध में अपनी सुविचारित व सुस्पष्ट आख्या शीर्ष प्राथमिकता पर 20 जनवरी तक उपलब्ध कराएं। कौन विभाग किन विभागों, प्रभागों व संस्थाओं के एकीकरण, समायोजन या विलय संबंधी कार्यवाही करेगा, इसकी जानकारी विभागों को दे दी गई है।
सचिवालय प्रशासन विभाग करेगा विभागों का पुनर्गठन
बताते चलें कि सचिवालय प्रशासन विभाग के सचिवालय स्तर पर विभागों के पुनर्गठन तथा राजस्व व अन्य विभागों के संविलयन की कार्यवाही सचिवालय प्रशासन विभाग करेगा। समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का एकीकरण, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम को एससी-एसटी वित्त एवं विकास निगम में एकीकृत करने की कार्यवाही समाज कल्याण विभाग करेगा।


वित्त विभाग के विभागाध्यक्ष कार्यालयों व निदेशालयों, प्रायोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग के पुनर्गठन व सुदृढ़ीकरण की जिम्मेदारी वित्त विभाग को दी गई है। सिंचाई व जल संसाधन तथा जल शक्ति विभागों का नए सिरे से निर्धारण सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग करेगा। नियोजन विभाग के अंतर्गत प्रभागों का पुनर्गठन नियोजन विभाग करेगा।


इसलिए पड़ी पुनर्गठन की जरूरत
कई विभागों में काम कम, कर्मचारी ज्यादा हैं। कहीं-कहीं कर्मचारियों का अभाव है। यह विसंगति दूर हो सकेगी। एक ही तरह का काम अलग-अलग विभागों के माध्यम से हो रहा है। इससे कई तरह की विसंगति सामने आती है। पुनर्गठन से प्रशासनिक व आर्थिक प्रबंधन भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। कई स्तर पर खर्चों में कमी आने की उम्मीद है। समय के साथ अप्रासंगिक हुए कार्यों से जुड़े पदों को समाप्त करने और नई आवश्यकताओं के लिए नए पद सृजित किए जा सकेंगे। आम लोगों को एक ही तरह के काम के लिए कई जगह की दौड़धूप से राहत मिलेगी। तेजी से काम हो सकेगा।


मंत्रिमंडल विस्तार पर भी पुनर्गठन का असर संभव
जिस तेजी से इस पुनर्गठन की कवायद शुरू हुई है, इसका असर भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार पर भी पड़ सकता है। कई ऐसे विभागों का एक दूसरे में विलय का प्रस्ताव है जिनके वर्तमान में अलग-अलग मंत्री हैं।


इन सुझावों पर प्रशासकीय विभागों से मांगी गई राय
चकबंदी, हथकरघा, पंचायतीराज, रेशम विभाग का विलयः समिति ने चकबंदी विभाग को राजस्व विभाग में, हथकरघा विभाग को उद्योग विभाग में, रेशम विभाग को उद्यान विभाग में तथा पंचायतीराज विभाग को ग्राम्य विकास विभाग में विलय करने को कहा है।


समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक व दिव्यांगजन विभाग होंगे एक: समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग व दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की कार्य प्रकृति लगभग एक समान बताई गई है। इन विभागों का आपस में एकीकरण करने को कहा गया है। इसी तरह अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम में एकीकृत करने को कहा गया है।


वित्त विभाग के कई निदेशालय अप्रसांगिक, होगा पुनर्गठन: समिति ने वित्त विभाग के अंतर्गत मौजूदा विभागाध्यक्ष कार्यालयों व निदेशालयों का पुनर्गठन करने की संस्तुति की है। इसके अंतर्गत बचत निदेशालय की अब आवश्यकता न बताते हुए इसके जिला स्तरीय पदों का समायोजन कोषागार व अन्य कार्यालयों में करने की सिफारिश है। इसी तरह बचत निदेशालय के कार्मिकों का समायोजन कोषागार निदेशालय में करने को कहा गया है।


बजट निदेशालय व फिजिकल प्लानिंग एवं रिसोर्सेज निदेशालय का आपस में विलय कर पदों का नए सिरे से निर्धारण करने को कहा गया है। वित्तीय सांख्यिकीय निदेशालय को कोषागार निदेशालय में तथा स्थानीय निधि लेखा परीक्षा निदेशालय व मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां व पंचायतें को आपस में विलय कर पदों का पुनर्गठन करने की सिफारिश है।


राज्य नीति आयोग का हो गठन
राज्य योजना आयोग द्वारा दैनिक प्रकृति के कार्य किए जा रहे हैं। संस्था में नीति अनुसंधान करने तथा विभागों के साथ वैचारिक आदान-प्रदान के लिए केंद्र सरकार के नीति आयोग की तरह राज्य नीति आयोग का गठन की भी संस्तुति की गई है।
विकास, अन्वेषण व प्रयोग प्रभाग होगा खत्म: विकास अन्वेषण व प्रयोग प्रभाग की अब जरूरत नहीं बताई गई है। इस प्रभाग को समाप्त कर इनके कर्मियों को अन्य प्रभागों में शामिल करने को कहा गया है। इसी तरह राज्य नियोजन संस्थान में स्थापित मूल्यांकन प्रभाग, योजना अनुश्रवण व मूल्य प्रबंधन विभाग तथा जनशक्ति नियोजन प्रभाग का आपस में विलय करने को कहा गया है। इस नवगठित प्रभाग को मौजूदा कार्यों के साथ प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण के लिए गठित समिति की संस्तुतियों के क्रियान्वयन व अनुश्रवण की जिम्मेदारी देने का सुझाव दिया गया है।


कई प्रभाग व संस्थाएं होंगी इधर से उधर
प्रदेश में कार्मिकों के प्रशिक्षण के लिए कार्मिक विभाग नोडल विभाग है। नियोजन विभाग के प्रशिक्षण प्रभाग को समाप्त कर कार्मिक विभाग के नियंत्रण में लाने का प्रस्ताव है। इसी तरह नियोजन विभाग के अधीन कार्यरत भूमि उपयोग परिषद को राज्य योजना आयोग में, यूपी राज्य जैव ऊर्जा बोर्ड को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत विभाग तथा गिरि विकास अध्ययन संस्थान को उच्च शिक्षा विभाग को हस्तांतरित करने को कहा गया है।


जल शक्ति विभाग को मजबूत बनाने की सिफारिश: भविष्य में एकीकृत व समग्र रूप से जल संसाधन की मांग व आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिश की गई है। पहला, प्रदेश की सभी मुख्य आठ नदियों के लिए एक-एक बेसिन जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया जाए। इसमें जल प्रबंधन से संबंधित सभी विभाग को। बेसिन स्तर पर उप बेसिक इकाइयों का गठन किया जाएगा। वर्तमान विभागीय अधिकरियों में से ही प्राधिकरण-उपबेसिन इकाइयों में अधिकारियों की तैनाती का सुझाव है।
जिला स्तर पर एकीकृत जल प्रबंधन कार्य डीएम के नेतृत्व में जल से संबंधित अधिकारियों को देने तथा विकास खंड स्तर पर सहायक विकास अधिकारी एकीकृत जल प्रबंधन की तैनाती का प्रस्ताव किया गया है। इसी तरह हर जिले में खंड अधिशासी अभियंता के नेतृत्व में तीन सहायक अभियंताओं के साथ एक अलग संवर्ग गठित करने को कहा गया है।
आज इससे संबंद्ध एक खबर पढ़क

र बहुत अच्छा लगा। और यह महसूस हुआ कि भले ही कुछ मामलों को लेकर जनता उत्पीड़ित हो रही हो मगर प्रदेश सरकार और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ आम आदमी को राहत पहुंचाने और सरकारी खर्चों को कम करने एवं नौकरशाहों की फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के साथ साथ हर वो कदम उठा रहे हैं जो जनहित का कहा जा सकता है। क्योंकि इस निर्णय से जहां सरकारी विभागों की संख्या में कमी होगी वहीं कुछ मंत्रालय भी समाप्त हो जाएंगे और मंत्रियों की संख्या कम होने से उन्हें जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है उन पर होने वाला खर्च बचेगा। इस बात को दृष्टिगत रख सीएम का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय कहा जा सकता है।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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