मनुष्य ही रख सकता है संयम इसलिए सभी जीवो में श्रेष्ठ-मुनि अनुकरण सागर
संयम की जीवन का श्रृंगार है मनुष्य ही संयम धारण कर सकता है यदि इसलिए समस्त जीवों में वह श्रेष्ठ है जिसके जीवन में संयम नहीं उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी जैसा है दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म पर मुनि अनुकरण सागर महाराज ने उदगार व्यक्त किए उन्होंने कहा कि संयम बिना प्राणी अधूरा है जीवन रूपी नदी के लिए संयम धर्म का पालन करना जरूरी है संयम को हम बंधन कह सकते हैं लेकिन यह बंधन सांसारिक प्राणी के दिए दुखदाई नहीं वरन दु:खों से छुटकारा दिलाने वाला है। नदी बहती है पर तटों का होना जरूरी है यदि नदी बिना तटों के बहती है तो वह अपने लक्ष्य से भटकर सागर तक नहीं पहुंच पाती है और सुख जाती है। इस प्रकार जीवन में नियंत्रण जरूरी है अश्व को लगाम, हाथी को अंकुश, ऊंट को नुकील और वाहन के लिए ब्रेक जरूरी है। ब्रेक है तो सुरक्षा है नहीं तो दुर्घटना होना पक्का है। उसे पूर्व प्रात: श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगंबर जैन ट्रस्ट मंदिर में श्रीजी का अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन सांगानेर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री की निर्देशन में संपन्न हुई। दोपहर को धूप दसवीं के पर्व पर मंदिरों मे चंदन, लौंग की धूप श्रीजी के सन्मुख एवं अग्नि को अर्पित करके धूप खेवन पर्व मनाया। शाम को आरती, प्रवचन एवं मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज के 40 में अवतरण दिवस पर उनके जीवन पर मुनि सेवा समिति द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में समाज के बच्चों द्वारा नाटक मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में कोल विधायक अनिल पाराशर जी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष इंजीनियर राजीव शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर किया।समिति द्वारा अतिथियों का माला शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन ,राजीव जैन ने किया। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष प्रद्युम्न कुमार जैन, मंत्री विजय कुमार जैन कोषाध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन संयोजक ज्ञानेंद्र कुमार जैन मीडिया प्रभारी मयंक जैन, रविंद्र जैन, मुनेश जैन, सत्यम जैन, प्रशांत जैन, कुणाल जैन राजा जैन उपस्थित रहे।