भारत एक विचार
गहरो के बीच
मैं खुद को,
अपना कर बैठा,
जला कर,
मेरे अरमानों को,
मैं खुद को,
सपना कर बैठा।
वो ठुकराते रहें ,
मेरी रूह को ,
मैं फिर हसकर,
सबसे सच्चा,
तपना कर बैठा।
हां।
गहरों के बीच ,
मैं खुद को,
अपना कर बैठा ।।
✍🏻 Author ✍🏻
Kunwar Yuvraj Singh Rathore