logo

प्रेरणा हिंदी सभा का दिल्ली में सम्मेलन 2024 आयोजित। ( हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जंतर मंतर में सभा )

जबलपुर - प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु जारी अपने अभियान के तहत हिंदी दिवस को दिनांक 14.09.2024 को प्रातः 10.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे जंतर मंतर में सभा व प्रदर्शन कर रही है। प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के इस अभियान में कवि साहित्यकार समाजसेवी पत्रकार शिक्षाविद मुख्य रूप से शामिल हो रहे है।
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी प्रचार प्रसार का काम कर रही है और सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान करती है।
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के इस अभियान में कवियों, कवयित्रियों, साहित्यकारों व पत्रकारों की मुख्य भूमिका है..... आप भी हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु इस अभियान में शामिल हो सकते हैं। प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन जो कि जंतर मंतर में ऐतिहासिक सभा व प्रदर्शन के पश्चात 14 सितंबर 2024 को हिंदी दिवस के दिन दोपहर 03.00 बजे से डाॅ धर्म प्रकाश वाजपेयी जी सिविल सेवा गुरु के संस्थान 18 पूसा रोड करोलबाग नई दिल्ली में आयोजित है।
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के ऐतिहासिक आयोजन में डाॅ देवी पन्थी एसोसिएट प्रोफेसर त्रिभुवन विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष चारु साहित्य प्रतिष्ठान नेपाल व डॉ घनश्याम न्योपाने परिश्रमी एसोसिएट प्रोफेसर त्रिभुवन विश्वविद्यालय व कुलपति बर्दघाट प्रज्ञा प्रतिष्ठान नवलपरासी नेपाल विशेष अतिथि हैं।
डॉ धर्म प्रकाश वाजपेई, कवि संगम त्रिपाठी, प्रदीप मिश्र अजनबी, डॉ विजय कुमार, डॉ लाल सिंह किरार, अजय पांडेय, संतोष कुमार पांडेय, गणेश श्रीवास्तव प्यासा जबलपुरी, शिवशरण श्रीवास्तव अमल, डॉ हरेन्द्र हर्ष, विश्व भूषण गुप्त,गुरुदीन वर्मा उर्फ जी आजाद, राजवीर शर्मा, के. एल. सोनी विनोदी, राजकुमारी रैकवार राज, बिनोद कुमार पांडेय, संतोष कुमार पाठक ने अपील की है कि उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनावे।
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय सम्मेलन में सम्मान समारोह व राजकुमारी रैकवार राज जबलपुर की कृति काव्य कस्तूरी राज, बसंत ऋतुराज अभनपुर की गीतमाला प्रज्ञांजलि, गिरिधर प्रसाद सिंह कोडरमा झारखण्ड की कविता संग्रह समय की पुकार, डॉ प्रेम शंकर द्विवेदी भास्कर के उपन्यास बिम्बिसार व शिवानन्द चौबे जौनपुर की मत्स्यगंधा एवं केशव, डॉ लाल सिंह किरार अम्बाह मुरैना की किताब चंबल सुमन व मन के सीप, डॉ रामप्रवेश पंडित मेदिनीनगर पलामू झारखंड की किताब वाणी वंदना, डॉ मिथिलेश कुमार त्रिपाठी जौनपुर की किताब अर्धांगिनी, उमाकांत त्रिपाठी ' निश्छल' का काव्य संग्रह बिखरे मन के फूल, बिनोद कुमार पांडेय नोएडा की कृति कभी न मानो हार व डॉ कादम्बिनी मिश्रा जबलपुर की पुस्तक भाषा और संस्कृति व हिन्दी साहित्य: नारी अंतर्द्वंद्व का विमोचन के साथ प्रतिष्ठित सम्माननीय मनीषियों का हिंदी के प्रचार-प्रसार व राष्ट्रभाषा की दिशा पर कार्यों हेतु विचार गोष्ठी आयोजित है। अंत में देशभर से आए कवि- कवयित्रियों की प्रतिनिधि रचनाओं की काव्य रसवर्षा होगी।

10
3375 views