
खानिवड़े सर्वें नंबर 82 हिस्सा नंबर 1अ करोड़ों के जमीन घोटाले मामले मे संदेह के घेरे मे प्रान्त अधिकारी की भूमिका.
खानिवड़े सर्वें नंबर 82 हिस्सा नंबर 1अ करोड़ों के जमीन घोटाले मामले मे संदेह के घेरे मे प्रान्त अधिकारी की भूमिका.
शिकायत पत्र को सिविल मामला बता मामले को भटकाने चलाये गए केस मे 17 जनवरी 2024 को हुई अंतिम सुनवाई का अब तक क्यों नहीं दिया जा रहा है फैसला?
वसई-पालघर (युसूफ अली बोहरा) वसई तालुका के विरार अंतर्गत मांडवी परिसर क्षेत्र मे खानिवड़े गांव की सर्वें नंबर 82 हिस्सा नंबर 2 अ की 26 गूंठा जमीन पर वसई तहसील कार्यालय के अधीन ठेका पद्धति से चलने वाले सेतुः कार्यालय के ठेकदार मोहनदास पांडुरंग पाटिल द्वारा 2019-20 से 2021-22 के दौरान तत्कालीन तहसीलदार श्रीमती उज्वला भगत के साथ नायब तहसीलदार, अव्वल कारकुन व अन्य अधिकारीयों की मिली भगत से पहले गलत तरिके से कूल वहिवाट कायदा अंतर्गत 70 ब का इस्तेमाल कर जमीन अपने नाम पर करवाई गई और बाद मे जमीन के दस्तावेज नाम पर होने के चंद साल बल्कि महीनो मे तत्कालीन प्रान्त अधिकारी स्वप्निल टंगड़े व उनके अधीनस्थ अधिकारियो की मिली भगत से उस खेती लायक जमीन को बिल्डर को बेच दिया गया. उपरोक्त मामले मे हम व्यवहार की अनुमानित रकम का सिर्फ अंदाजा लगाए तब भी 26 गूंठा जिसका बाजार भाव जो कुछ रहा हो या सौदा किसी भी भाव मे हुआ हो मान लिया जाये की एक गुंठे का बहुत अधिक नहीं तब भी 20 लाख का मूल्य लगा हो तो उस हिसाब से 5 करोड़ से अधिक का आर्थिक व्यवहार हुआ. जिसमे नाम भले ही मोहनदास पांडुरंग पाटिल का हो लेकिन सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार जमीन की आई क़ीमत का बटवारा सभी मे उनके पद और सीनियॉरिटी के हिसाब से हुआ है. इस मामले को स्वतंत्र सागर ने पिछले कुछ वर्षो पूर्व जोरों शोरो से उठाया था साथ ही साथ उपरोक्त मामले की लिखित शिकायत स्वतंत्र सागर प्रतिनिधि ने शासन को की थी उस शिकायत की एक प्रति तत्कालीन वसई प्रान्त अधिकारी स्वप्निल टंगड़े को भी दी थी जिस पर उस शिकायत को आधार मान कर जाँच करते हुए पुलिस को आपराधिक मामला दर्ज कर कार्यवाही किये जाने का आदेश देने के स्थान पर तत्कालीन प्रान्त अधिकारी ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर अपनी सिविल कोर्ट मे सूमोटो केस दायर किया और बाद मे केस की तारीख पर तारीख पड़ती रही लेकिन माननीय प्रान्त अधिकारी व डंडाधिकारी ने आज मंत्रालय तो कल जिला मुख्यालय यहां वहां होने का बहाना बना कर केस की सुनवाई को जान बूझकर आगे टालने का काम किया इसी बीच पिछले वर्ष प्रान्त अधिकारी स्वप्निल टंगड़े का बदली आदेश जारी हुआ और स्वप्निल टंगड़े चुपचाप बगैर किसी कार्यवाही किये निकल कर चले गए. स्वप्निल टंगड़े के जाने के बाद उनके स्थान पर वर्तमान प्रान्त अधिकारी शेखर गाडगे की नियुक्ति हुई शेखर गाडगे ने नियुक्ति के बाद काम काज का चार्ज संभालते ही केस की तारीख पर सुनावनी शुरू कर दी जिससे मामले के खुलासा जल्द होने की आस जगने लगी लेकिन सरकारी विभाग मे सिर्फ अधिकारी बदल जाने मात्र से परिस्थितिया नहीं बदलती है वर्तमान प्रान्त अधिकारी स्वप्निल टंगड़े की सिविल कोर्ट मे उपरोक्त केस की आखिरी तारीख 17 जनवरी 2024 थी जिस पर उसके पूर्व मामले के वादी व प्रतिवादी से लिखित बयान दर्ज किया गया उसमे भी प्रतिवादी मोहनदास पांडुरंग पाटिल द्वारा दिए गए लिखित बयान मे सामने आई विरोधाभासी बिन्दुओ को वादी द्वारा अपने जवाब मे लिखित तौर पर प्रान्त अधिकारी के संज्ञान मे लाया गया और उस मामले मे 17 जनवरी के बाद प्रान्त अधिकारी को केस के संदर्भ मे अपना फैसला सुना कर मामले का निपटारा करना था जिसका आज 8 महीने बीत जाने के बाद भी कोई अता पता नहीं है. स्वतंत्र सागर प्रतिनिधि खुद वादी की भूमिका मे थे और स्वतंत्र सागर प्रतिनिधि जिन्होंने प्रशासन मे जारी भ्रष्टाचार को उजागर करने उक्त केस मे वादी की भूमिका निभाई थी ने इन 8 महीनों के दौरान कई बार प्रान्त अधिकारी कार्यालय जाकर केस के निर्णय के बारे मे जानकारी लेनी चाही लेकिन हर बार कभी देश के आम चुनाव मे व्यस्तता का तो कभी और कुछ बहाना बता कर अब तक उस केस का प्रान्त अधिकारी ने निपटारा नहीं किया है यह बात प्रान्त अधिकारी की भूमिका को संदेह के घेरे मे होने का दर्शाती है. इस खबर को यहां पर खत्म किये जाने से पूर्व आपको यह भी बतादे की सूत्रों के हवाले से यह जानकारी भी निकल कर आई है की उक्त मामले के वास्तविक जमीन मालक ने भी एक दावा प्रान्त अधिकारी की कोर्ट मे दायर किया है जो भी फिलहाल प्रलंबित है.*