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सीवर सफाई के नियम हुए सख्त, बिना सुरक्षा उपकरण के किया काम तो होगी कार्रवाई ।
हमारे स्वादता सुरक्षा अधिकारी राजन ठाकुर से बात की और सीवर दुर्घटनाए के बारे में जाना की कई सारे लोग आये दिन जान गवा देते है उन्होंने बताया की हाइड्रोजन सल्फ़ाइड गैस काफ़ी ज़हरीली होती है जिसे साइलेंट किलर भी कहते है ।
सफाई के दौरान और बार बार सफाई कर्मियों की मौत की वजह से सीवर सफाई के लिए सुरक्षा मानक सख्त कर दिया गया है। सुरक्षा उपकरण के बिना अगर काम होता है तो संबंधित फॅर्म के अलावा विभागीय इंजीनियरों पर भी कार्रवाई होगी।
कार्य दायी संस्था के खिलाफ होगा मुकदमा
अगर ऐसा नहीं होता है तो कार्य दायी संस्था के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसमें सबसे पहले यह तय किया गया है कि सीवर और जल निगम की बाकी योजनाओं में वही मजदूर काम करेंगे जो श्रम विभाग में पंजीकृत होंगे। इसका लाभ मजदूरों को मिलेगा। अगर कोई हादसा होता है तो श्रम विभाग का बीमा और बाकी योजनाओं का लाभ भी मजदूरों को मिलेगा।
पिछले दिनों लखनऊ में सीवर सफाई के दौराप पिता- पुत्र की जोड़ी की मौत हो गई थी। इसके बाद से ही विभाग में इसको लेकर सक्रियता तेज कर दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि कार्य स्थल पर बोर्ड लगाकर सभी आकस्मिक सेवाओं के नंबर लिखे जाएंगे। इसमें फायर, चिकित्सा सेवा, अपर जिलाधिकारी, विभागीय इंजीनियर के नंबर बोर्ड पर होना अनिवार्य है।
किन बातों का रखना है ध्यान
सीवर लाइन बिछाने के साथ ही मैनहोल का निर्माण होगा
मानक के हिसाब से मैनहोल की सफाई के दौरान आगे – पीछे के भी मैनहोल के ढक्कन खोले जाएंगे। इससे जहरीले गैस निकल जाए।
मैनहोल की सफाई से पहले उसमें आक्सीजन के स्तर की जांच होगी।
मौके पर प्राथमिक चिकित्सा किट रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
बिजली संबंधित इंतजाम रहेंगे। अवैध बिजली कनेक्शन नहीं लिया जाएगा।
खुदाई के दौरान यातायात डायवर्जन करना जल निगम की काम होगा।
डेढ़ मीटर सेअधिक गहराई की सीवर लाइन की खुदाई में टिंबरिंग होने पर ही खोदाई होगी।
हानिकारक गैसें, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन की पुष्टि गैस डिटेक्टर से होगी।
सुरक्षा उपकरण जैसे – मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर, सेफ्टी बेल्ट, हुक, रस्सी के साथ श्रमिकों को मैनहोल में उतारा जाएगा।
सफाई करने वाले मजदूर के रस्सी का एक सिरा बाहर खड़े मजदूर के हाथ में होगा।