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क्रोध न उत्पन्न होने देना है उत्तम क्षमा धर्म - अनुकरण सागर

दसलक्षण पर्व के प्रथम दिन खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे सांगानेर जयपुर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन मे प्रात: श्रीजी का अभिषेक ,शांतिधारा एवं सामूहिक पूजन का आयोजन हुआ। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने अपने प्रवचन मे कहा की आज दसलक्षण पर्व का पहला दिन है उत्तम क्षमा जिसमें हम उन लोगों से क्षमा मांगते हैं जिनके साथ हमने जाने-अनजाने में बुरा व्यवहार किया हो या फिर जिनका हमने दिल दुखाया हो। हम उन्हें क्षमा करते हैं जिन्होंने हमारे साथ बुरा व्यवहार किया हो। जब आप दूसरों से क्षमा मांगते हैं या फिर दूसरों को क्षमा करते हैं तो इससे व्यक्ति की आत्मा को सही राह खोजने में मदद मिलती है, जिससे सम्यक दर्शन प्राप्त होता है। सम्यक दर्शन वास्तव में परम आनंद मोक्ष को पाने का प्रथम मार्ग है। सांयकालीन आरती एवं स्वाध्याय,प्रवचन एवं जैन मिलन अलीगढ़ नगर एवं जैन मिलन महिला द्वारा आओ जाने रिश्तों की बगिया धार्मिक मनोरजंक खेल कराया गया। कार्यक्रम के प्रायोजक नेहा जैन,राजेंद्र कुमार जैन , मनकश्री जैन एस.के. प्रोडक्ट द्वारा सभी विजयी प्रतियोगियों को संस्था द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन , मोना जैन ,अंजली जैन ने किया।इस मौके पर प्रद्युम्न कुमार जैन ,विजय कुमार जैन ,नरेश कुमार जैन ,सुरेश कुमार जैन गढी़,अतुल कुमार जैन ,प्रदीप कुमार जैन ,राजीव जैन ,मयंक जैन ,आदर्श कुमार जैन ,रजनी जैन ,नीता जैन ,सरिता जैन ,मीना जैन,पूर्वी जैन,ऋतु जैन एवं समाज के पुरुष महिला बच्चे उपस्थित रहे।

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