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MobiKwik Zip बिल पेमेंट देरी पर डेटा गोपनीयता उल्लंघन: गंभीर चिंता



हाल ही में MobiKwik Zip से जुड़े मामलों में आरोप लगाए गए हैं कि यदि कोई यूजर बिल पेमेंट में 20 दिनों से अधिक की देरी करता है, तो कंपनी कथित रूप से उनके फोन को हैक करके कॉन्टैक्ट लिस्ट तक पहुंच हासिल कर लेती है। इसके बाद धोखाधड़ी भरे कॉल्स और व्हाट्सएप संदेश यूजर के रिश्तेदारों को भेजे जाते हैं, जिनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जिनका नंबर यूजर के फोन में सेव नहीं होता।

यह मामला सिर्फ डेटा गोपनीयता ही नहीं, बल्कि उपयोगकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए जो गाइडलाइंस निर्धारित की गई हैं, यह पूरी तरह से उसके खिलाफ है। MobiKwik जैसे प्लेटफार्मों के लिए यह जरूरी है कि वे उपभोक्ता अधिकारों और डेटा की सुरक्षा का सम्मान करें, लेकिन इस घटना ने कंपनी की इन गाइडलाइंस की अनदेखी को उजागर किया है।

कानूनी उल्लंघन:

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 और 66E के तहत किसी भी व्यक्ति के फोन के डेटा से छेड़छाड़ करना अपराध है। धारा 66 में धोखाधड़ी और डेटा हैकिंग से संबंधित अपराधों का उल्लेख किया गया है, जबकि धारा 66E गोपनीयता के उल्लंघन और व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग से जुड़ा है। इन नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के फोन को बिना अनुमति के एक्सेस करना और उसकी जानकारी का दुरुपयोग करना गंभीर अपराध है, जिसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है।

डेटा सुरक्षा के सवाल:

इस घटना ने डेटा सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वित्तीय लेन-देन करने वाली कंपनियों पर उपयोगकर्ता की जानकारी की सुरक्षा का दायित्व होता है, लेकिन ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि कुछ कंपनियां इन नियमों को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। इसके अलावा, RBI द्वारा स्थापित नियमों का पालन न करना भी इस मामले में गंभीर चिंता का विषय है।

कार्रवाई की जरूरत:

यह घटना सिर्फ एक यूजर के साथ हुई समस्या नहीं है, बल्कि यह उन हजारों लोगों के लिए चेतावनी है जो ऐसे डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दें और उपयोगकर्ताओं की डेटा सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाएं। ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें।

सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आईटी अधिनियम और डेटा सुरक्षा कानूनों का सख्ती से पालन हो, ताकि यूजर्स की गोपनीयता और सुरक्षा से कोई समझौता न किया जा सके।

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