हिमाचल में वैध होगी भांग की खेती
हिमाचल में वैध होगी भांग की खेती
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता वाली कमेटी का प्रतिवेदन विधानसभा ने किया स्वीकार
औद्योगिक उपयोग और दवाओं के लिए होगा उत्पादन, मिलेगा 500 करोड़ राजस्व
नियंत्रित क्षेत्र के लिए मिलेगा लाइसेंस एनडीपीएस रूल्स में होगा बदलाव
हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने के लिए राज्य सरकार ने कदम आगे बढ़ा दिया है। शुक्रवार को विधानसभा में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने नियम 102 के तहत सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया। इस संकल्प को विधानसभा ने अडॉप्ट कर लिया है। इस संकल्प के जरिए वह रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई, जो राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में बनाई गई विधायकों की कमेटी ने तैयार की थी। इस कमेटी ने अन्य राज्यों उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और मध्य प्रदेश का भी दौरा किया था। इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि भांग की खेती को वैध करने के लिए एनडीपीएस अधिनियम के नियमों में संशोधन करना होगा। एक्ट की धारा 10 और 14 में यह प्रावधान पहले से है।
यह रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल प्रदेश के लिए भांग की नियंत्रित खेती मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे राज्य के किसानों को भी लाभ होगा और हिमाचल सरकार के खाते में शुरू में ही लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए का राजस्व आएगा। राज्य सरकार को पहले पॉलिसी बनानी है और फिर हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम 1989 में संशोधन करना है। रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि इसके लिए राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो इस खेती को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करेगी। राज्य के कृषि विश्वविद्यालय और वानिकी विश्वविद्यालय को अनुसंधान का काम दिया जाएगा। जिस जमीन पर यह नियंत्रित खेती होगी, उसकी जियो टैगिंग होगी। इसके लिए राज्य आबकारी एवं कराधान विभाग को विशेष कर्मचारी भी उपलब्ध करवाए जाएंगे, क्योंकि विधानसभा ने संकल्प प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, इसलिए अब सरकार इसकी पॉलिसी बनाएगी और कैबिनेट से नियमों में संशोधन होगा। यह कदम उठाने के लिए बनाई गई कमेटी में सभी दलों के विधायकों को शामिल किया गया था। (एचडीएम)
दो तरीके से होगी भांग की खेती
मीडिया से बातचीत में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भांग की खेती दो तरह से होगी। एक उत्पादन औद्योगिक इस्तेमाल के लिए होगा, जिसमें नशा रहित बीज का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे 400 तरह के प्रोडक्ट बनेंगे। दूसरा उत्पादन नशे वाली खेती का होगा, जो औषधि और वैज्ञानिक इस्तेमाल के लिए होगी। यह नियंत्रित भूमि पर ही की जाएगी। जिस तरह से अफीम की खेती के लिए लाइसेंस दिया जाता है। इसके लिए सीड बैंक पर भी काम होगा।