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चारों ओर के पाथवे तोड़कर आनासागर का भराव क्षेत्र बढ़ाया जाए।. Ajmer

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चारों ओर के पाथवे तोड़कर आनासागर का भराव क्षेत्र बढ़ाया जाए।

बीसला तालाब भी पुनर्जीवित हो, तभी अजमेर को बचाया जा सकता है-आर्किटेक्ट धर्मेन्द्र जैन।

जिन अफसरों और राजनेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी की योजना पर पानी फेरा, उन पर सख्त कार्यवाही हो-धर्मेश जैन।

सवाल आखिर अंग्रेजों के सिस्टम को क्यों बिगाड़ा गया?

मंत्री ओंकार सिंह लखावत ने भी अजमेर की दुर्दशा पर नाराजगी जताई।
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अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में संपूर्ण भारतवर्ष के मौसम और वातावरण का अध्ययन करवाया। इस अध्ययन में यह पता चला कि भारत में राजपूताना के अजमेर में प्राकृतिक वातावरण सबसे अच्छा है। इस अध्ययन के बाद ही अजमेर में अंग्रेजों के सबसे वरिष्ठ अधिकारी वॉयस रॉय की कोठी अजमेर में बनाई गई। जिसे आज सर्किट हाउस के तौर जाना जाता है। अजमेर के चारों तरफ की पहाडिय़ों का पानी ग्रेवेटी (ढालान से) निकल सके। इसके व्यापक इंतजाम किए गए। फॉयसागर का पानी बाड़ी नदी के जरिए आनासागर में और फिर आनासागर का पानी एस्केप चैनल के जरिए खानपुरा के तालाब तक ले जाने की व्यवस्था की गई। एस्केप चैनल के बीच में बीसला तालाब बनाया गया। पूर्व में जब फॉयसागर का बरसाती पानी आनासागर, बीसला तालाब और खानपुरा में जाता रहा, तब पानी निकासी की कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन 6 सितंबर को अजमेर में अधिक वर्षा होते ही शहर भर में हालात बिगड़ गए। सबसे ज्यादा मुसीबत आनासागर के चारों तरफ बसी कॉलोनियों में हुई। कोटड़ा और पुष्कर रोड के हालात तो बेकाबू हो गए। जिस बाडी नदी को नाले में तब्दील कर दिया गया, वह नाला सड़क पर आ गया। 6 सितंबर को अजमेर के बिगड़े हालातों पर सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट धर्मेन्द्र जैन का कहना रहा कि असली समस्या की जड़ आनासागर के चारों तरफ पाथे वे का निर्माण है। कायदे से पाथवे का निर्माण आनासागर के भराव क्षेत्र के बाद किया जाना चाहिए था, लेकिन स्मार्ट सिटी योजना के तहत पाथवे का निर्माण आनासागर के अंदर कर दिया गया। आज जितने क्षेत्र में पानी भरा है, उससे ज्यादा क्षेत्र में पाथवे बन गया। पाथवे बनने से आना सागर एक तालाब में तब्दील हो गया है। यही वजह है कि जब फॉयसागर का पानी ग्रेविटी से आना सागर में आता है तो बाढ़ जैसे हालात हो जाते हें। धर्मेन्द्र जैन ने कहा कि यदि अजमेर को बचाना है तो चारों ओर के पाथवे को तोड़कर आनासागर के भराव क्षेत्र को बढ़ाने की जरूरत है। इसके साथ ही बीसला तालाब को भी पुनर्जीवित किया जाए ताकि आनासागर के पानी को बीसला तालाब में रोका जा सके। इसके साथ ही आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए अवैध निर्माणों को हटाने की जरुरत हे। स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों ने आनासागर को छोटा कर अजमेर के लोकों के साथ विश्वासघात किया हे। आज हालात इतने खराब है कि फॉयसागर का पानी आनासागर में आता है तो इतनी तेजी से पानी की निकासी नहीं होती। यदि पानी की निकासी तेज की जाए तो एस्केप चैनल के किनारे बनी कॉलोनियों में पानी भर जाता है। धर्मेन्द्र जैन ने आनासागर से जुड़े एस्केप चैनल को भी तकनीकी दृष्टि से मजबूत किए जाने का सुझाव दिया। जब एस्केप चैनल में ज्यादा मात्रा में पानी निकलता है तो ब्रह्मपुरी क्षेत्र के मकानों में पानी का लीकेज शुरू हो जाता है। यानी एस्केप चैनल की दीवारों से पानी का रिसाव होता है। स्मार्ट सिटी योजना में इंजीनियरों ने पाथवे का निर्माण तो कर दिया, लेकिन आनासागर में आने वाले पानी का ध्यान नहीं रखा। धर्मेन्द्र जैन ने एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़कों के अतिक्रमणों को भी हटाने का सुझाव दिया। सोनीजी की नसियां के सामने तो हर समय जाम की स्थिति रहती है। इंजीनियरों ने अजमेर शहर की भौगोलिक स्थिति को समझे बगैर ही एलिवेटेड रोड, पाथवे जैसे फैसले कर लिए। आज पाथवे और एलिवेटेड रोड की वजह से ही अजमेर के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। अजमेर के हालातों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829070743 पर आर्किटेक्ट धर्मेन्द्र जैन से ली जा सकती है।

नेताओं और अफसरों पर कार्यवाही हो:
6 सितंबर को अजमेर में बाढ़ के जो हालात उत्पन्न हुए उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता और नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे धर्मेश जैन ने उन राजनेताओं और अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग की है जिन की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी की योजना पर पानी फिर गया है। भाजपा की राजनीति नरेंद्र मोदी के सहयोगी रहे धर्मेश जैन ने कहा कि अजमेर में सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में अजमेर को भी स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया, लेकिन अजमेर के राजनेताओं और अधिकारियों ने पीएम मोदी की स्मार्ट सिटी की योजना पर पानी फेर दिया। पाथवे के निर्माण के लिए जो लाखों टन मिट्टी आनासागर में डाली गई उसे आज तक भी बाहर नहीं निकाला गया है। जिन भूमाफियाओं ने आनासागर के भराव क्षेत्र में पक्के निर्माण कर लिए हैं, उन्हें बचाने के लिए आनासागर के अंदर पाथवे का निर्माण किया गया। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि अवैध निर्माण हटाए बगैर ही पाथवे बना दिया गया। इसके लिए राजनेता भी जिम्मेदार है। धर्मेश जैन का आरोप रहा कि राजनेताओं और अफसरों के गठजोड़ के करण ही पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फिर गया है। 6 सितंबर की बरसात के बाद अजमेर शहर नरक सिटी में तब्दील हो गया है। जैन ने स्मार्ट सिटी के सभी कार्यों की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है। जैन ने कहा कि आनासागर के भराव क्षेत्र में जो सेवन वंडर बनाया गया है उसे तोड़ने के लिए एनजीटी ने आदेश दे रखा है, लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन इन आदेशों की पालना नहीं कर रहा है। धर्मेश जैन ने भी आनासागर के भराव क्षेत्र में हुए सभी निर्माणों को हटाने की मांग की है। स्मार्ट सिटी के कार्यों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414551000 पर धर्मेश जैन से ली जा सकती है।

सिस्टम को क्यों बिगाड़ा?
अजमेर के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की योजना दी थी, लेकिन अधिकारियों और राजनेताओं के स्वार्थपूर्ण गठजोड़ के कारण अजमेर को नरक सिटी में तब्दील कर दिया गया। सवाल उठता है कि पानी निकासी के लिए अंग्रेजों ने जो सिस्टम बनाया था, उसे स्मार्ट सिटी के नाम पर क्यों बिगाड़ा गया? 2 हजार करोड़ रुपए खर्च हो जाने के बाद भी आनासागर में आज भी नालों का गंदा पानी गिर रहा है। यह उन नेताओं और अफसरों के मुंह पर तमाचा है जो अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा कर रहे है। जब नालों का गंदा पानी तक नहीं रोका जा सका, तब किस ताब का अजमेर स्मार्ट है। दावा करने वाले नेताओं और अफसरों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए।

लखावत ने जताई नाराजगी:
6 सितंबर को अजमेर में बाढ़ जैसे हालात पर राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष व नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे ओंकार सिंह लखावत ने भी नाराजगी जताई है। लखावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भी लिखा है कि अजमेर में वर्षा के जल भराव की समस्या को ईमानदारी से जाने बिना और प्राचीन जल प्रबंधन व जल भराव की व्यवस्था को समझना आवश्यक है। अजयमेरु के संस्थापक अजय पाल जी से लेकर आज तक के हालातों को जाने तो पता चलेगा कि अजमेर शहर ऊंचाई पर बसा हुआ है। अजमेर में राजस्थान की किसी भी दिशा से नदियों या जल प्रवाह से वर्षा का पानी नहीं आता है। प्राकृतिक दृष्टि से अजमेर के चारों ओर पर्वतमाला होने से सुरक्षित है। रियासत काल से फॉयसागर झील, आनासागर झील, बिसला पाल और खानपुरा तालाब में वर्षा जल का संरक्षण होता रहा है। खान पुरा से पानी लूणी नदी बन कर अरब सागर में मिल जाता है। पहाड़ों का पानी इन तीनों सरोवरों में मिलने से तालाबों बावडिय़ों में भी पानी आता है। 1975 की बाढ़ के बाद अंदरकोट व पहाड़ों की तलहटी में चैक डेम बनाया गया। आनासागर एस्केप चैनल को पक्का किया गया। पाल बिसला सरोवर के चैनल गेट लगाए गए, परंतु दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाल बिसला सरोवर के गेट को सीनाजोरी कर हटा दिया गया। आनासागर की भराव क्षमता को कम किया गया। आनासागर की भराव क्षमता को कम कर मरीन ड्राइव का सपना दिखा गया। आनासागर के डूब क्षेत्र में वैशाली नगर बसा दिया गया। बावड़ी और तालाबों को भरकर मकान बना दिए गए। बहाव क्षेत्र में निर्माण होने से ही आनासागर की क्षमता कम हो गई। हाई कोर्ट ने समय समय पर जो आदेश दिए उसकी पालना भी नहीं हुई। पाल बिसला का मूल रिकॉर्ड उपलब्ध है। हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने वालों को चिह्नित कर कठोर कार्यवाही किए जाने की जरूरत है। जिला प्रशासन राजस्व रिकॉर्ड खंगाले और त्वरित आवश्यक कार्रवाई ताकि आम जनता को वर्षा जल आपदा से राहत मिल सके। लखावत की सोशल मीडिया पर इस पोस्ट पर राजनीतिक क्षेत्रों में जबरदस्त चर्चा हो रही है।

S.P.MITTAL BLOGGER (07-09-20

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