कुछ लोग आज के दौर में शिकार करके अपने आप को राजा, महाराजा…. समझते हैं…
कुछ लोग आज के दौर में शिकार करके अपने आप को राजा, महाराजा…. समझते हैं…
फ़ीलिंग लेने के लिए बेचारे बेज़ुबानों को मारते हैं…
इनके घरों में जाकर देखो तो चाय शक्कर के डब्बे भी ख़ाली मिलेंगे आपको….
मूँछों के बट्ट देते रहेंगे…. और पुराने क़िस्से सुनाते रहेंगे
वास्तविकताओं से कोसों दूर ये लोग शिकार करके खाने को बड़ा ऊँचे दर्जे का काम समझते हैं….
गुरू जनों ने खूब समझाने की कोशिश की…
समाज के प्रबुद्ध जनों ने खूब समझाने की कोशिश की..
लेकिन झूठी श्रेष्ठता की भावनाओं से भरे ये लोग….
आज के दौर में नितांत विफलताओं के पाताल में बैठे इन लोगों को इस झूठी श्रेष्ठता में जीना ही एकमात्र रास्ता दिखाई देता है…
इन्हें लगता है कि इस तरह का आचरण करने से हम महान बन जाएँगे…..