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हिंदी साहित्य और भारत श्रंखला में प्रस्तुत

सतगुरु सवाॅं न को सगा,
साधी सईं न दाति।
हरिजी सवाॅं न को हितू,
हरिजन सईं न जाति।।
~~कबीर दास

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