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मोहम्मद साहब की बेटी फ़ातेमा ज़हरा की शहादत पर मजलिसों का आयोजन

छिबरामऊ (कन्नौज)।मोहम्मद साहब की बेटी फ़ातेमा ज़हरा की शहादत पर मजलिसों का आयोजन किया गया। 

 मुसमानों के आखरी नबी की इकलौती  बेटी फ़ातेमा ज़हरा की शहादत के मौके पर आज पूरे विश्व मे ग़म मनाया जा रहा है इसी कड़ी में  कस्वा सौरिख,ग्राम कबीरपुर ब राजापुर ज़िला कन्नोज में मजलिसों का आयोजन किया गया। इस मौके पर बाहर से आये मौलाना गौहर अब्बास,कसीम हैदर आज़मगढ़,आज़म हुसैन हरिद्वार,बाक़र ज़ैदी ब मोहम्मद मशरकैन लखनऊ,नौहे खान ज़फ़र अब्बास कश्मीरी ब मोहम्मद अब्बास ज़ैदी हरदोई आदि मौलानाओं ने मजलिसों को खिताब फ़रमाया ।

मजलिसों का आगाज़ तिलावते कलाम पाक से हुआ उसके बाद आखिरी मजलिस को कबीरपुर में मौलाना मोहम्मद मशरकैन लखनवी ने खिताब  फरमाया कि हमारे आखिरी नबी ने फरमाया था कि फतेमा मेरे जिगर का टुकड़ा है जिसने फ़ातेमा को अज़ीयत दी उसने मुझे अज़ीयत दी और जिसने मुझे अज़ीयत दी उसने खुदा को अज़ीयत दी ।आयते ततहीर का मरकज़ी हिस्सा हज़रते फातेमा ज़हरा की ज़ाते ग्रामी है हदीसे किसा में जब मलायका ने सवाल किया कि अये परवर दिगारे आलम  चादरे ततहीर के नीचे कौन कौन नूरानी हस्तियां हैं तो अल्लाह ने फरमाया कि फ़ातेमा हैं उनके बाबा मोहम्मद हैं उनके शौहर अली हैं और उनके बेटे हसन,हुसैन हैं ।अल्लाह ने अहले बैते गिरामी शख्सियतों का तार्रुफ़  हज़रते फ़ातेमा ज़हरा की ज़ात से करबाया ।जनाबे फ़ातेमा ज़हरा सिर्फ मुस्लिम औरतों की नही बल्कि दुनियां की हर औरत के लिये आइडियल हैं ,जो औरतें अपने हक़ के लिये लड़ रही हैं और अपनी ज़िन्दगी के मसायल को लेकर परेशान हैं अगर सभी औरतें अपना आइडियल फ़ातेमा ज़हरा को बना लें तो उनका हल उनको मिल जायेगा।मोहर्रम कमेटी अध्यक्ष अली अब्बास ने कहा कि पाकिस्तान में जो हज़ारा    बिरादरी के ग्यारह शियों का कत्लेआम हुआ है उसकी हम सभी लोग मज़म्मत करते हैं ।और अपने हिन्दोस्तान की हुकूमत से यह आग्रह करते हैं कि हम अल्पसंख्यक शियाओं की हिफाज़त की जाये ,और पाकिस्तान में जो आतंकवाद पल रहा है उसको जड़ से उखाड़ फेंका जाये ।हमारे मुस्तकविल में इमामे क़ायम हैं और हमारे माज़ी में कर्बला है हम फ़ातेमा ज़हरा की दुआ हैं हमें चाहे जितना भी कत्ल करो हम ख़त्म होने बाले नही हैं हम कभी भी यज़ीदियों को कामयाब नही होने देंगे हमारी मायें लोरियाँ देती हैं और कहती हैं  कि बेटा जब तुम बड़े होना इमाम मेंहदी के सिपाही बनना और आतंकवाद को खत्म करना ।

इस मौक़े पर हुसैन हैदर,विरासत हुसैन ,हैदर अब्बास,शब्बर अली , ज़ीशान हैदर,असद अली,निसार हुसैन, ज़फर  अब्बास ,मोहर्रम कम मौजूद थे।

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