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**गिरधर नगर जैन संघ में पर्युषण पर्व के छठे दिन का प्रवचन**



अहमदाबाद 5 सितम्बर 2024 गुरुवार
गिरधर नगर जैन संघ में पर्युषण महापर्व के छठे दिन श्रद्धेय प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी महाराजा ने अपने गहन और प्रेरणादायक प्रवचनों के माध्यम से धर्म, आत्मा और मोक्ष के गूढ़ सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। संघ के भक्तजन इस पावन अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और आचार्यश्री के प्रवचनों से आत्मिक ऊर्जा प्राप्त की।

आचार्यश्री ने अपने प्रवचन की शुरुआत करते हुए पर्युषण महापर्व की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व को *पर्वाधिराज* कहा गया है, क्योंकि यह सभी पर्वों का राजा है। जिस प्रकार तीर्थों में *शत्रुंजय तीर्थ* का सर्वोच्च स्थान है और मंत्रों में *नवकार मंत्र* का सर्वोच्च महत्व है, उसी प्रकार पर्वों में पर्युषण पर्व का स्थान सर्वोपरि है। इस दौरान पढ़ा जाने वाला *कल्पसूत्र* सभी सूत्रों का राजा है। आचार्यश्री ने कहा कि जो व्यक्ति इस पर्व के दौरान कल्पसूत्र का श्रवण करता है, उसका जीवन सभी प्रकार की आधि, व्याधि और उपाधियों से मुक्त होता है। कल्पसूत्र के श्रवण से जीवन में आने वाले सभी विघ्न-बाधाओं का नाश होता है और पूरे वर्ष मंगलकारी ऊर्जा का संचार होता है।

संवाददाता दिनेश देवड़ा धोका ने बताया कि आचार्यश्री ने भगवान महावीर के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने भगवान महावीर के *मेरुपर्वत* पर 64 इन्द्रों द्वारा किए गए *1 करोड़ 60 लाख कलशों से जन्माभिषेक* की गाथा को सुनाया, जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन अभिभूत हो गए। इस अवसर पर भगवान महावीर के *पाठशालागमन* के निमित्त श्रीसंघ ने बालकों को धर्म की प्रेरणा देने के लिए *नोट-पेन* आदि की प्रभावना दी। यह प्रभावना न केवल बालकों में शिक्षा और ज्ञान के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास था, बल्कि उनके जीवन में धर्म और आध्यात्मिकता के बीज बोने की एक महत्वपूर्ण पहल भी थी।

आचार्यश्री ने भगवान महावीर के तीन नामों का उल्लेख किया – *वर्धमान*, *श्रमण*, और *श्रमण भगवान महावीर*। उन्होंने भगवान महावीर के विवाह और उनके 30 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण करने के प्रसंग का भी वर्णन किया। आचार्यश्री ने बताया कि भगवान महावीर ने साढ़े बारह वर्षों तक घोर तपस्या की, जिसके दौरान उन्होंने *चंडकौशिक* और *चंदनबाला* जैसे जीवों का कल्याण किया। उनकी घोर साधना से न केवल उनके स्वयं का कल्याण हुआ, बल्कि उन्होंने अनगिनत जीवों को मुक्ति के मार्ग पर प्रशस्त किया।

दोपहर के गणधर वाद प्रवचन में आचार्यश्री ने आत्मा, कर्म और मोक्ष के गूढ़ सिद्धांतों पर चर्चा की। उन्होंने तर्क, प्रमाण और दृष्टांतों के माध्यम से यह सिद्ध किया कि **आत्मा का अस्तित्व** है, कर्म का प्रभाव अनिवार्य है, और आत्मा तथा कर्म के संयोग से व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है। आचार्यश्री ने आत्मा की शुद्धि के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि मोक्ष प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अपने कर्मों से मुक्ति पाकर आत्मा की शुद्धि करनी चाहिए। उनके प्रवचनों ने श्रोताओं के हृदय में गहरी छाप छोड़ी और उन्हें आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

गिरधर नगर जैन संघ में आज का यह प्रवचन आत्मा के अस्तित्व और मोक्ष के मार्ग पर चलने की गहन शिक्षा देने वाला था। आचार्यश्री के प्रवचनों से सभी श्रोताओं का मन धर्म और अध्यात्म की ओर उन्मुख हुआ और वे अत्यंत भावविभोर हो गए।

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