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दम तोड़ता स्पेशल डेपुटेशन कोटा चंडीगढ़ -

चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है। राजधानी होने के नाते 1966 मे प्रशासन के विभिन्न विभागों की कुछ
दम तोड़ता स्पेशल डेपुटेशन कोटा
चंडीगढ़ -
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है। राजधानी होने के नाते 1966 मे प्रशासन के विभिन्न विभागों की कुछ सीटों को डेपुटेशन कोटे के लिए आरक्षित किया गया। आरक्षित डेपुटेशन कोटे को दो प्रदेश की राजधानी होने के नाते 60-40 के अनुपात से बांटा गया और अधिकारी बुला कर चंडीगढ़ प्रशासन संचालित किया। करीब 55 वर्ष बाद मार्च 2022 को शहर में केंद्रीय सेवा नियम लागू हुए और आरक्षित डेपुटेशन कोटे का नियम अब दम तोड़ रहा है। प्रशासन में 70 प्रतिशत अधिकारी युटी कैडर के आ चुके है। अब यदि कोई चंडीगढ़ आना चाहता है तो उसे अपना पैतृक कैडर छोड़ना होगा जिसकी शुरुआत हरियाणा कैडर के आईएएस मनदीप सिंह बराड़ कर चुके है।
कोटे के कारण न भर्ती और न-ही प्रमोशन-
पंजाब-हरियाणा का कोटा होने के कारण चंडीगढ़ के विभिन्न विभागों में ना तो कभी भर्ती हो सकी और ना ही प्रमोशन। भर्ती की बात करें तो शिक्षा विभाग में टीचर्स के 850 पद, डॉक्टर्स के 98 पद, नगर निगम में चीफ इंजीनियर सहित गृह सचिव, वित्त सचिव, एसएसपी से लेकर उपायुक्त और निगम कमिश्नर की कभी नियमित नियुक्ति नही हुई। अधिकारी तीन से 7 वर्ष बाद लौट गए लेकिन उन अधिकारियों की पत्नी, भाई से लेकर विभिन्न रिश्तेदार कभी वापिस नही गए और युटी कैडर से भर्ती कर्मचारियों को कभी प्रमोशन नही मिली।
अधिकारियों का कोटा चाहिए लेकिन ग्रांट नही -
पंजाब-हरियाणा चंडीगढ़ को राजधानी होने के कारण अपनी विधानसभा चलाते है। दोनों प्रदेश के हाई कोर्ट और विभिन्न विभाग कार्यालय शहर में हैं। इसी तरह से चंडीगढ़ प्रशासनिक पदों पर भी पंजाब हरियाणा हक रखते हैं, लेकिन जब कभी चंडीगढ़ को आर्थिक सहयोग की जरूरत आई तो पंजाब- हरियाणा ने कभी ग्रांट देने की पहल नहीं की। चंडीगढ़ प्रशासन शत प्रतिशत ग्रांट केंद्र सरकार से प्राप्त करता है।
कशमश क्या होगा शहर का-
केंद्रीय सेवा नियम लगने के बाद तेजी से नियम और कार्यप्रणाली मे बदलाव आ रहा है। युटी कैडर के कर्मचारी खुश है कि अब उनकी प्रमोशन होगी और उनके बच्चों को शहर में ही नौकरी मिलेगी, तो वही डेपुटेशन वाले परेशान है कि उन्हें शहर छोड़ कर जाना होगा।

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