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**पालतू पत्रकार

**पालतू पत्रकार*

हमने कहा -"महोदय
कल सात बजे
आपको समय देना है।
हमें आपका
इंटरव्यू लेना है।

ऐसा नहीं है कि सवालों की
बरसात करेंगे।
हां!
कुछ मुद्दों पर बात करेंगे।

आपके बारे में
लोग कहते हैं।
महोदय
अपनों के दिलों में रहते हैं।

विपक्षी कहते हैं
इसके पीछे इक राज है।
आपके बुद्धि के कटोरे में
बाज़ है।

लोग सड़क की बात करते हैं
तो उन्हें
फोरलेन का सपना दिखाते हैं।
भूख से जब कोई
'रोटी रोटी '
चिल्लाता है।
तो बिरयानी मिलेगा
कहते हैं, बिठाते हैं।

महोदय बोले-
"आपको जो भी पूछना है
लिख के दे दीजिए
हमारे पत्रकार
गढ़ लेंगे।
अखबार में छप जाएगा
तो आप भी पढ़ लेंगे।"

हमारे साथी बोले -
"महोदय
पत्रकार की विश्वसनीयता
तभी तक है
जब तक वह
"पत्रकार का धर्म "
निभाता है।
जब कोई पत्रकार
किसी के नाम के आगे" श्री "
और पीछे "जी"
लगाता है।
तो समझो वह पत्रकार फिर
पत्रकार नहीं रह गया
बल्कि " पालतू पत्रकार"
कहलाता है।

महोदय,साथी की बात सुने,
हँसकर चल दिए।
और हम
महोदय के मुस्कुराते हुए
चेहरे के सोफे पर
धँसकर निकल लिए।

सुनील गुप्ता
केसला रोड सीतापुर
हमने कहा -"महोदय
कल सात बजे
आपको समय देना है।
हमें आपका
इंटरव्यू लेना है।

ऐसा नहीं है कि सवालों की
बरसात करेंगे।
हां!
कुछ मुद्दों पर बात करेंगे।

आपके बारे में
लोग कहते हैं।
महोदय
अपनों के दिलों में रहते हैं।

विपक्षी कहते हैं
इसके पीछे इक राज है।
आपके बुद्धि के कटोरे में
बाज़ है।

लोग सड़क की बात करते हैं
तो उन्हें
फोरलेन का सपना दिखाते हैं।
भूख से जब कोई
'रोटी रोटी '
चिल्लाता है।
तो बिरयानी मिलेगा
कहते हैं, बिठाते हैं।

महोदय बोले-
"आपको जो भी पूछना है
लिख के दे दीजिए
हमारे पत्रकार
गढ़ लेंगे।
अखबार में छप जाएगा
तो आप भी पढ़ लेंगे।"

हमारे साथी बोले -
"महोदय
पत्रकार की विश्वसनीयता
तभी तक है
जब तक वह
"पत्रकार का धर्म "
निभाता है।
जब कोई पत्रकार
किसी के नाम के आगे" श्री "
और पीछे "जी"
लगाता है।
तो समझो वह पत्रकार फिर
पत्रकार नहीं रह गया
बल्कि " पालतू पत्रकार"
कहलाता है।

महोदय,साथी की बात सुने,
हँसकर चल दिए।
और हम
महोदय के मुस्कुराते हुए
चेहरे के सोफे पर
धँसकर निकल लिए।

सुनील गुप्ता
केसला रोड सीतापुर

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