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जीवन में, जो, भी मिला, गुरु ही मिला। (शिक्षक दिवस)

जीवन में जो भी मिला, गुरु ही मिला।
सभी गुरूओं के श्री चरणों में नमन।।
शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को शत शत नमन!!!
उन सम्माननीय शिक्षकवृंद्ध को कोटि कोटि प्रणाम जो अपने वाद विवाद से गाजा पट्टी से लेकर रूस यूक्रेन तक के मुद्दे सहज ही निपटा देते हैं।
उन शिक्षक नेताओं को सुमांजलि, जिन्हे कक्षा से इतर पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान है पर कक्षा के छात्रों के नाम का बेशक पता न हो।
उन शिक्षकों को प्रणाम! जिन्होंने कभी कक्षा में आने की जहमत नही उठाई।
उन शिक्षकों को प्रणाम! जिन्होंने ज़िन्दगी के असली, विद्यालय से इत्तर पाठ पढ़ाये।
और उन शिक्षकों को कोटिशः प्रणाम! जो विद्यालय समय में बाजार का सारा कामकाज निपटा लेते हैं और छुट्टी के बाद बेगम-बादशाह को उठा-उठाकर पटकते हैं।
और उन शिक्षकों की तो कई पीढ़ियों का ऋणी हूँ, जो विद्यालय में घुग्गी बनाकर पूरी पंचायत की राजनीति करके गांव की सभी बहन-बेटियों व बहुओं के चरित्र प्रमाण-पत्र बना देते हैं।
उन शिक्षकों को साष्टांग दंडवत जिन्होने पठन-पाठन से ज्यादा ध्यान राज्य व राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पर दिया और इसके लिए विद्यालय से ज्यादा समय खद्दर वाले गुंडों की चौखट चूमने में बिताया।
नमन उन शिक्षकों को जिन्होने अपने बॉस (वो भी है तो एक मास्टर ही, सिस्टम की खामी के कारण आपका बॉस बेशक हो गया) के बच्चों को फ्री में घर पर ट्यूशन पढ़ाकर बॉस की गुड बुक में जगह बनाई। भले ही इसके लिए उन्हें अपनी अन्तरात्मा को रेहन रखना पड़ा हो।
उन शिक्षकों को नमन! जो ‘जैक ऑफ ऑल बट मास्टर ऑफ नन’ हैं। ऐसे आर्यभट्ट, शेखस्पीयर (शेक्सपीयर नहीं), गैलीलियो व ‘ऑल इन वन’ का आभार जिन्होने इस शिक्षा मॉडल को चलायमान बनाया हुआ है।
उन अँग्रेजीदाँ शिक्षकों का भी आभार! जो मुंह बिचका कर ‘मॉडल्स’ को ‘मोडाल्स’, माँ को ‘मॉम’, बाप को ‘डेड’ और ‘मेंटर’ को ‘मेंटोर’ बोलकर अँग्रेजी की हिन्दी करते आ रहे हैं।
उन शिक्षकों को कोटिशः प्रणाम जो बॉस की चाकरी और जी हुजूरी में पूरी नौकरी कर सेवानिवृत्त हो जाते हैं और समाज में अपने ज्ञानी, ध्यानी होने का दंभ भरते रहते हैं।
उन दूरदर्शी और विजनरी मास्टरों को करबद्ध प्रणाम! जो खुद राजकीय सेवा में हैं और मौज काट रहे हैं और अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल्स में पढ़ाकर शवाब लूट रहे हैं।
विद्यालय समय में ही फसल निपटा लेने वाले महान शिक्षक कम कृषि वैज्ञानिकों को नमन।!
उन शिक्षकों को प्रणाम! जो नरिंदर मूदी, बाइडन और व्लादिमीर पुतिन जैसों की कुंडली खोले बैठे रहते हैं, और उनके खुद के बच्चे ओयो में ज़िंदगी के अव्वल दर्जे के सबक सीख रहे होते हैं।
और इसी शृंखला में खुद को भी प्रणाम! क्योंकि थोड़ा बहुत तो आपकी संगति में मैं भी आप हो गया।
जीवन में जिसने भी अच्छा या बुरा कुछ भी सिखाया, उन सभी शिक्षकों को सुमांजली।।।
आप तो गुरुदेव आप ही थे। शिक्षकीय जीवन में आपका प्रतिस्थापन्न तो कोई हो ही नहीं सकता।
आप आज भी मुझ में हो।।।
आपके अंश को मेरा विनम्र प्रणाम।।।

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