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आप नही होते तो (शिक्षक दिवस)

आप नही होते तो (शिक्षक दिवस)

यदि आप नही होते तो आदर सम्मान की परिभाषा कहाँ से सिख पाते एवंज्ञानार्जन में वृद्धि भी नही हो पाती।जो सीखा गया है उसका पालन करना चाहिए। बच्चों ने अपने शिक्षक का आदर सम्मान भी करना चाहिए | ज्ञान में ही आदर सम्मान जुड़ा होता है |जिसे हम सभी शिक्षण के दौरान प्राप्त करते है | नैतिक शिक्षा अपने आप में बहुत महत्व रखती है |कुछ गलती हो तो लोग बाग़ ताना मार ही देते है -'क्या यही सिखाया था '|शिक्षक के लिए हर बच्चा कोहिनूर ही होता है|शिक्षक के अलावा अपने से बड़ों का सम्मान करना भी सीखे |यही ज्ञान जीवन पर्यन्त तक बेहतर जीवन के लिए मूलमंत्र सिद्ध होगा |वर्तमान में बड़ो का मान सम्मान करना तो कई बच्चे भूलते जा रहे है |वे इलेक्ट्रानिक दुनिया के सम्मोहन में बंधे से जा चुके है |स्कूली जीवन की अनगिनत यादों को आज जब याद करते है तो बचपन की यादों में खो कर मुस्कान चेहरे पर आ जाती है ।शिक्षक अपने ज्ञान और अनुभव को सभी विधार्थियों में बाटते और दी गई शिक्षा को हम सभी ध्यान पूर्वक पढ़ते और समझते थे । शिक्षक जब कक्षा में आते तो सब खड़े होकर उनका अभिवादन करते और जब परिवार के साथ बाजार में जाते और रास्ते में शिक्षक मिल जाए तो पापा- मम्मी के संग शिक्षक को नमस्कार करते ,यही आदर -सम्मान की भावना शिक्षक से हमसे स्कूल जीवन में सीखी थी जो आज हमारे दिल में बड़े होने एवं बड़े पद पर विधमान होने पर सजीव है ।चुनाव का वाक्या याद आता है | जब मुझे पीठासीन अधिकारी पद और मेरे शिक्षक जिन्होंने मुझे पढ़ाया था उन्हें मेरे अंडर में पोलिंग अधिकारी नंबर १ पर नियुक्त किया गया ।चुनाव में और भी अधिकारी मेरी चुनाव संबंधी सहायता हेतु मेरे साथ थे । चुनाव सामग्री पद के हिसाब से संभालने का दायित्व था हम सभी अपनी -अपनी सभी चुनाव सामग्री लेकर बस की और चलने लगे ।मैने देखा की ये तो अपने शिक्षक है |जिन्होंने बचपन में मुझे पढ़ाया था|वे अब बुजुर्ग हो चुके थे और उनसे उनकी सभी सामग्री और स्वयं का भारी बेग भी उठाए नहीं जा रहा था ।मैने शिक्षकजी से कहा - "सर ये सब आप मुझे दीजिए मै लेकर चलता हूँ "।शिक्षकजी ने कहा कि -" आप तो हमारे अधिकारी है आप से कैसे उठवा सकता हूँ " मैने कहा आपने तो हमे शिक्षा के साथ सिखाया था "आदर सम्मान का पाठ " आप की शिक्षा के बदौलत ही मै आज बड़े पद पर नौकरी कर रहा हूँ ,ये क्या कम है ? मैने ,मेरे शिक्षकजी की चुनावी सामग्री और बैग उठा लिए ।शिक्षकजी ,की आँखों में आँसू छलक पड़े और मन में साहस का हौसला भर गया यही शिक्षक सेवा से प्राप्त ज्ञान अच्छे कार्य हेतु सदैव जीवन भर प्रेरणा के स्त्रोत ओर आधार स्तंभ रहेंगे |
संजय वर्मा 'दॄष्टि "
125,बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला धार मप्र



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