कच्ची शराब और गिहार बस्ती
कल दिनांक 1 सितंबर को नगर फतेहगंज पूर्वी जिला बरेली में दो व्यक्तियों की मृत्यु जहरीली शराब पीने से अचानक हो गयी जबकि पीने वाले शराबी अमिताभ बच्चन थे फर्क बस इतना था पीने पिलाने का कि अमिताभ इंग्लिश पीते थे एक फ़िल्म में कुछ देर का मनोरंजन को ड्रामा करके और ड्रामे में एक रहीस बाप की औलाद बनकर। जबकि वास्तविकताओं गरीब पीते कच्ची जो बिना किसी मानक के होती है और कभी कभी जहरीली हो जाती जो उनकी जान ले लेती है। कच्ची शराब नगर देहात में खूब धड़ल्ले से बनती और बिकती है। ऐसे ही नगर फतेहगंजपूर्वी,जिला बरेली में बसी एक गिहार बस्ती जिसमें कच्ची शराब का धंधा जोरों पर चलता है और वर्षों से ही नहीं बल्कि दशकों पुराना है। हर माह, तीन माह,छः माह में ऐसी घटनाएं नगर में आम और देश में चलन सी हो गईं हैं कि जहरीली कच्ची शराब से गरीब आदमी कभी कभी लाइन लगाकर मरता है। मगर नगर में बसी गिहार बस्ती जैसे क्षेत्रों को आज तक कभी भी नगर पालिका से, ग्रामसभा से, या राज्य से, या केंद्र से कोई सरकारी लाभ आवास, शौचालय, शिक्षा संबंधित उपाए नहीं किये गए न किये जाएं और न शिक्षा को लेकर कभी भी किसी भी स्थानीय विद्यालय से कभी को समाजसेवी अध्यापक, या स्थानीय क्षेत्रीय समाजसेवी,संगठन,जनप्रतिनिधि से लेकर कभी कोई भी जागरूकता अभियान को आगे नहीं आया कि गिहार बस्ती जो जनजाति में आती नगर में विकास के समरूप आती तो शायद दशकों पुरानी गौंटिया की कच्ची शराब का धंधा बंद होता। नगर में बसी गिहार बस्ती में हर तीन चार महीने में आवकारी विभाग छापा मारकर कच्ची शराब का लाहन बर्बाद करते और चले जाते क्योंकि पुरुष कोई मिलता नहीं सिवाय महिलाओं और बच्चों के। विफलता हाथ लगती और फिर पुलिस से साठ गांठ कर के अक्सर सभी दलाल माफिया मिलकर फिर धंधा चालू कर देते हैं। एक बार यह धंधा अभी हाल ही में दो साल पहले इस लेखक समाजसेवी अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा द्वारा गिहार बस्ती को बच्चों की शिक्षा के लिए जागरूक करने और अपनी नागरिकता के सभी सरकारी कागजात बनवा कर सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर नगर के विकास में सहयोगी बनने को कच्ची शराब का धंधा बंद कर लघु उद्योग में कार्य कर जीविका चलाने और आदर्श बनने का संकलपित अभियान चलाया था। जोकि 60%तक सफल रहा बांकी स्थानीय किसी भी आदर्श व्यक्ति का सहयोग न मिलने और कुछ गिहार बस्ती के धंधे में लिप्त दलाल माफियायों के दबदबे और पुलिस सहयोग न मिलने पर 60%भी आज 50%रह गया। जोकि कल दिनांक 1/09/2024 में फिर जहरीली शराब से दो व्यक्तियों की मौत हो गईं। कोई पोस्ट मार्टम नहीं ऐसे ही परिवार द्वारा अंतिम संस्कार कर देना। कभी आज तक थाने में गौटिया की कच्ची शराब पीकर मरने वालों की कोई तहरीर पुलिस थाने अक्सर न जाती और जाती तो उनकी सुनवाई न होती। कच्ची शराब बेंचने पकड़ने के हजारों मुक़दमे दर्ज है गिहार बस्ती पर। मगर पिलाने के दौरान मौके पर हालत बिगड़ने पर मृत्यु के नुकसान का कोई मुक़दमा दर्ज नहीं होता। यह स्थानीय पुलिस की ताकत का राज है कि थाने 500 मीटर पर बसी नगर में गिहार बस्ती नशे का कारोबार दशकों से धड़ल्ले से कर रही है। पिछले वर्ष भी तीन व्यक्तियों ने नगर में बसी गिहार बस्ती से कच्ची शराब लाकर अपने घर पर बैठ कर पी थी और तीन में दो की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर इलाज़ के दौरान मर गए और एक बच गया जिसने कम पी थी तो मामला अस्पताल से थाने पंहुचा। मगर जहरीली शराब से हुई मृत्यु का मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ और हुआ भी तो जो बच गया उस पर जहर देने के आरोप में। हाल ही में कुछ माह पहले भी बीच चौराहे पर एक व्यक्ति की कच्ची शराब बिना मानक के तय पीने से मृत्यु हो गईं थी। आसपास के गाँव से मरने वालों की संख्या का कोई आंकड़ा नहीं है। कच्ची शराब नगर फतेहगंज पूर्वी के सम्पूर्ण क्षेत्र में एक अभिशॉप बन गईं है। जो बिना आंदोलन और जागरूकता अभियान के नही खत्म होगा। आज ही नहीं दशकों से गिहार बस्ती पुलिस दलाल माफियायों की जेब भर्ती है और गरीब आदमी ही नहीं बड़े बड़े हस्ती वाले गिहार बस्ती में चरस गांजा कच्ची शराब जैसे नशे के लिए विख्यात हैं। मगर ऊँचे मंचों पर बैठने वाले, बोलने वाले अवार्ड्स पर्सनालिटीज़ हुआत्माएँ खबर दृश्य देखकर भी मौन हैं। आज गिहार बस्ती में 50 %परिवार ऐसे हैं जो समाजसेवी अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा के जागरूकता अभियान से गिहार बस्ती के युवा टेम्पू लोन पर या सेकेण्ड हैंड निकाल कर सुबह से शाम तक हाइवे पर सवारियां ढोकर मेहनत करते,कुछ जूते पालिश करते, बनाते का काम करते,कुछ मजदूरी और महिलाएं भी जरी व क्षेत्र में बनी फैक्ट्री कारखानों में काम पर जाती बुजुर्ग घर पर बैठते और उनके बच्चे विद्द्यालय में पढ़ने जाते। यह देखकर अच्छा लगता। मगर 50% गिहार बस्ती कच्ची शराब के साथ कई अन्य मादक पदार्थ का धंधा करती है। दलाल माफिया और पुलिस अपनी जेब गर्म करके इनके सहयोग धंधा चालू रहता। नगर क्षेत्र में जहरीली शराब से मरने वालों का दृश्य देखकर सरकार जनप्रतिनिधियों को गिहार बस्ती जैसे स्थानीय क्षेत्रों का विकास सुचारु और रूल एंड रेगुलेशन के हिसाब से हस्व हिदायत के साथ होना चाहिए। तभी देश में नगर व ग्रामीण क्षेत्र का भला होगा। वरना नगर के देहात के चौराहे कच्ची शराब से गिरने मरने वालों की संख्या से सजा होंगे। जितना नुकसान राजस्व विभाग का नगर की एक गिहार बस्ती साल में करती है उससे आधा दिमाग़,पैसा,सेवा अगर सरकार विभाग गिहार बस्ती को आदर्श बनाने में लगा दे तो सरकार का राजस्व इतना बढ़ सकता है कि गिहार बस्ती के आलावा भी लोगों को क्षेत्र समाज रोजगाऱ सरकार एक आदर्श जीविका के रुप में मुहैया कराकर सकती है जोकि गिहार बस्ती जैसे क्षेत्र में लोगों में कच्ची शराब का धंधा अपनी जीविका के रुप में बना रखा है और तरक्की माफिया दलाल पुलिस करती है।नुकसान पूरे समाज परिवार का हो रहा है।