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नागपुर की सभी 6 सीटों पर कांटे की टक्कर, हर वर्ग के वोट बैंक पर पार्टियों की नजर*

नागपुर. आगामी विधानसभा चुनाव का मंजर इस बार कुछ अलग ही रहने वाला है। जिस तरह से राज्य के दोनों गठबंधन महायुति व MVA के बीच अभी से हर मुद्दे पर शह-मात का खेल चल रहा है उसे देखकर तो लगता है कि आगे चुनावी वातावरण और भी गर्म हो जाएगा। नागपुर शहर के 6 विधानसभा सीटों की बात करें तो दोनों गठबंधन यहां की सारी सीटें जीतने की रणनीति पर कार्य कर रहा है। सत्ताधारी जहां सरकारी योजनाओं के सहारे महिला, युवा, किसान वर्ग के वोट बैंक पर एकतरफा कब्जा साधने के पैंतरे फेंक रहे हैं तो वहीं विपक्ष में बैठी MVA एक-एक सीट में हर वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए अपनी चालें चल रहा है। जिस आक्रामक तरीके से विरोधी पक्षनेता सत्ताधारियों पर हमले कर रहे हैं उसे देखते हुए तो लगता है सारी 6 सीटों पर कांटे की टक्कर होने वाली हैं।

*उत्तर, पश्चिम में बीजेपी की फिल्डिंग*

2019 के चुनाव में उत्तर व पश्चिम विधानसभा गंवाने के बाद बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर अपना विशेष ध्यान केन्द्रित किया हुआ है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव में पार्टी को आशा के विपरीत परिणाम मिले हैं उससे वह अधिक सतर्क हो गई है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। एससी वर्ग के आरक्षित उत्तर नागपुर की सीट पर बीजेपी सर्वमान्य चेहरा तलाश रही है क्योंकि इस सीट पर पूर्व मंत्री नितिन राऊत को टक्कर देने के लिए पूरी ताकत लगानी होगी।

पश्चिम नागपुर के कांग्रेस विधायक विकास ठाकरे की वजनदारी लोकसभा चुनाव में जैसी नजर आई है, उसे देखते हुए बीजेपी यहां अपनी वापसी के लिए समीकरण बिठाना शुरू कर दिया है। पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, लाडली बहन योजना को जिस तरह प्रतिसाद मिला है उसका लाभ दोनों सीटों में निश्चित तौर पर देखने को मिलेगा। महायुति में शामिल NCP अजीत पवार गुट भी यह दोनों सीटें मांग रहा है लेकिन बीजेपी सीटें नहीं छोड़ेगी यह तय माना जा रहा है।

मध्य व दक्षिण दोनों के लिए चुनौती
बीते विधानसभा चुनाव में मध्य और दक्षिण नागपुर सीटों पर कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन रहा था। एक तरह से वह जीतते-जीतते रह गई थी। बीजेपी ने बहुत ही कम अंतर से दोनों सीटों में विजयी हासिल कर अपना कब्जा बरकरार रखा था। अब राज्य में राजनीतिक समीकरण काफी बदल गए हैं। कांग्रेसी खेमे में इन दोनों सीटों को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है। पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को लगता है कि जीतने की संभावना सबसे अधिक इन दोनों पर ही है। यही कारण है चुनाव लड़ने के इच्छुकों की कतारें लगी हैं। बीते चुनाव में मध्य से बंटी शेलके और दक्षिण से गिरीश पांडव ने करारी टक्कर दी थी। दोनों महीनों पहले से चुनावी तैयारी में जुट गए हैं।
प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने भी यह क्लियर कर किया था कि जहां विनिंग कैंडिडेट हैं वहां उसी पार्टी के उम्मीदवार होने चाहिए। इसलिए उम्मीदवारी रिपीट की संभावना अधिक है। भाजपा अपनी उत्तर व पश्चिम की सीटें गंवाने के बाद अब कोई सीट हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी। इसलिए अपनी सर्वे रिपोर्ट के हिसाब से वह उम्मीदवार रिपीट करने या फिर बदलने का कदम उठा सकती है। मध्य से विकास कुंभारे और दक्षिण से मोहन मते विधायक हैं। प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले ने बीते दिनों उम्मीदवारी को लेकर ‘सीटिंग-गेटिंग’ कहकर विद्यमानों को राहत दी थी लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने कुछ सीटों में उम्मीदवारी बदल सकने जैसा बयान भी दिया था। चूंकि दोनों सीटों में कांग्रेस जी जान लगा देगी इसलिए भाजपा को सीट बचाने की चुनौती होगी।

*पूर्व व दक्षिण-पश्चिम में MVA की फिल्डिंग*
सिटी की पूर्व व दक्षिण-पश्चिम नागपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए सर्वाधिक मजबूत व सुरक्षित मानी जाती है। पूर्व से कृष्णा खोपड़े और दक्षिण-पश्चिम में डीसीएम देवेन्द्र फडणवीस विधायक हैं। इन दोनों ही सीटों पर MVA द्वारा विशेष फिल्डिंग लगाई जा रही है। पूर्व नागपुर में बीते चुनाव में कांग्रेस से पुरुषोत्तम हजारे उम्मीदवार थे लेकिन इस बार MVA में शामिल घटक दल शिवसेना यूबीटी अपना पूरजोर दावा ठोक रही है। NCP (शरद पवार) भी साथ है। कांग्रेस यह सीट छोड़ना तो नहीं चाहेगी लेकिन बीजेपी को टक्कर देने के लिए निर्णय लिया जा सकता है। महकमे में चर्चा है कि शिवसेना यूबीटी से विप सदस्य रहे दुष्यंत चतुर्वेदी इस सीट से इच्छुक हैं। वहीं, फडणवीस की घेराबंदी के लिए कांग्रेस का सीनियर चेहरा प्रफुल गुडधे पाटिल आगे किया जा रहा है। अब तक हालांकि दोनों ही गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर निर्णय नहीं हुए हैं और सबकी नजर उसी ओर लगी हुई है।

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