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आचार्य श्री विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी महाराजा के सान्निध्य में कल्पसूत्र वाचन



अहमदाबाद 2 सितम्बर 2024 सोमवार
गिरधर नगर जैन संघ में पर्युषण पर्व के तीसरे दिन श्रद्धेय परम पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी महाराजा के सान्निध्य में श्री कल्पसूत्र वाचन का शुभारंभ हुआ। आज का यह विशेष दिन जैन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। कल्पसूत्र को जैन धर्म में 'सूत्राधिराज' का स्थान प्राप्त है, जैसे कि शत्रुंजय तीर्थ को 'तीर्थाधिराज' और नवकार मंत्र को 'मंत्राधिराज' का स्थान दिया गया है। प्राचीन काल में कल्पसूत्र का पठन केवल साधु भगवंतों के लिए ही सीमित था, लेकिन लगभग 1500-1600 वर्ष पूर्व आनंदपुर नगर के राजा ध्रुवसेन के पुत्र की युवावस्था में मृत्यु हो जाने पर इस परंपरा में बदलाव आया। राजा ध्रुवसेन के शोक को दूर करने के लिए, तत्कालीन आचार्य भगवंत ने सकल जैन संघ के समक्ष कल्पसूत्र का पठन किया, जिससे राजा का शोक शांत हुआ। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि पर्युषण महापर्व के दौरान कल्पसूत्र का वाचन और श्रवण जैन संघों में किया जाता है।

आज के प्रवचन में, आचार्य भगवंत श्रीमद विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी महाराजा ने 24 तीर्थंकर भगवानों के साधुओं के 10 प्रकार के आचार का विशेष रूप से वर्णन किया और इस अवसर्पिणी काल में हुए 10 बड़े आश्चर्यों की कथा सुनाई। इसके साथ ही श्रमण भगवान महावीर स्वामी के 21 भवों के पूरे जीवनचरित्र का अत्यंत रोचक वर्णन किया गया। भगवान महावीर के जीवन की कई रहस्यमय घटनाओं का उल्लेख सुनकर सभी उपस्थित भाई-बहन भावुक हो गए। इस प्रकार गिरधर नगर जैन संघ में प्रारंभ हुआ श्री कल्पसूत्र वाचन, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है, और सभी भक्तों को भगवान महावीर की जीवनगाथा से प्रेरित कर रहा है।

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