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जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्विविद्यालय में बैकलाक पदों की भर्ती में हुई गड़बड़ी, भर्ती प्रभारी पर लगे आरोप

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्विविद्यालय में बैकलाक पदों की भर्ती में हुई गड़बड़ी की गूंज भोपाल तक पहुंच गई है। जनजागरण मंच ने इस पूरे मामले की जांच कृषि विभाग से करानी की मांग की है। मंच ने आरोप लगाया है कि भर्ती से जुड़े दस्तावेजों को गायब किए गए। इन दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाणित हो जाएगा कि रोस्टर के मुताबिक बैकलाक के पद भरे गए या मनमुताबिक।
पदों के लिए जो रोस्टर तैयार किया गया था, वह विवि ने ही किया
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कृषि बैकलाक में कृषि विस्तार अधिकारी, प्रयोगशाला तकनीशियन और स्टेनों के रिक्त पद भरे गए। इस पूरे पदों के लिए जो रोस्टर तैयार किया गया था, वह विवि ने ही किया। इनमें कई पद सामान्य वर्ग के भी जोड़ दिए गए। इस वजह से अब व्यापमं के जरिए चयनित उम्मीदवारों को तीन माह बाद भी ज्वानिंग नहीं मिली है। विवि के पास चयनित उम्मीदवारों के मुताबिक रिक्त पद ही नहीं है। यह उम्मीदवार पिछले तीन माह से विवि प्रशासन से लेकर कुलपति और कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इनकी कहीं नहीं सुनी जा रही।

बैकलाक के दस्तावेज जला दिए गए
विवि की जांच कमेटी के सामने अभी तक भर्ती से जुड़े दस्तावेज सामने नहीं आए हैं, जिसके बाद बैकलाक में रोस्टर के साथ छेड़छाड़ करने की बात सामने आ रही है। मंच के अध्यक्ष रामाकांत मिश्रा का आरोप है कि कई दस्तावेज को बैकलाक के भर्ती से जुड़े प्रभारी द्वारा जलाया गया। पिछले तीन माह से चयनित उम्मीदवारों को विवि प्रशासन ने ज्वानिंग नहीं दी। इनमें से कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी छोड़कर यहां ज्वाइंन करने आए हैं।

व्यापमं के जरिए होने वाली भर्ती में भी हमें ज्वाइनिंग नहीं मिलेगी
एक उम्मीदवार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि व्यापमं के जरिए बैकलाक के रिक्त पदों में हमारा चयन किया गया। तीन माह से हम परेशान हैं। हमने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया फिर यहां आए, पर पता नहीं था कि व्यापमं के जरिए होने वाली भर्ती में भी हमें ज्वाइनिंग नहीं मिलेगी। जब पद ही नहीं थे तो विवि ने व्यापमं को रिक्त पदों की जानकारी देकर परीक्षा क्यों करवाई।

बैकलाक में कृषि विस्तार अधिकारी, प्रयोगशाला तकनीशियन, स्टेनों के रिक्त पदों को रोेस्टर बनाकर तय नियमों के आधार पर व्यापमं के जरिए भरा गया। इसमें यदि किसी तरह की गड़बड़ी हुई है तो उसे सुधारा जाएगा।

रेवा सिंह सिसोधिया, कुलसचिव, जनेकृविवि

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