स्वास्थ्य निदेशालय को गलत फैसले और प्रतिक्रिया देने से बचे : चक्रधर मेश्राम
वर्धा (महाराष्ट्र)। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत, महाराष्ट्र में लगभग 22,500 कर्मचारी अनुबंध के आधार कम वेतन पर दिन-रात काम कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गलत प्रतिक्रिया देकर अनुबंध कर्मचारीयो के मौलिक मानवाधिकारों का शोषण करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की है। यह कथन एडवोकेट चक्रधर मेश्राम ने व्यक्त किया है।
स्वास्थ सेवा एक जनहित सेवा है। और इस सेवा को जारी रखना सरकार का कर्तव्य है। हालांकि, स्वास्थ्य निदेशक के कार्यालय के अधिकारियों ने समायोजन प्रक्रिया में खामिया निकाली है। राजनीतिक दलों और मंत्रियों के प्रतिनिधियों ने अनुबंध कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए समय समय पर सिर्फ वादे किए हैं।
प्रारंभ में, स्वास्थ्य अनुबंध कर्मचारियों की नियुक्ति जिला परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी, जो सरकार और कलेक्ट्रेट में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों (चयन समिति) के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं। स्वास्थ्य निदेशालय को यह भी कारण बताना चाहिए कि जो कर्मचारी पिछले 15 वर्षों से सरकार की आस्थापना में काम कर रहे हैं, वे सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं हैं।
यह एक बड़ी त्रासदी है कि सरकार उन कर्मचारियों का संज्ञान नहीं लेती है जो अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं, भले ही वे नियमित कर्मचारियों की तुलना में अधिक समय तक अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभा रहे हों। इसके बारे में अधिक जानने के लिए, स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों ने कुर्सी पर बैठकर सिर्फ प्रतिक्रिया लिखने के बजाय पहले अनुभव हासिल करने के लिये कर्मचारी काम कर रहे जगह की यात्रा करनी चाहिए। यह सलाह भी अँड चक्रधर मेश्राम द्वारा दी गई है।
यह केवल स्वाभाविक है कि पिछले कई वर्षों से, जो कर्मचारी अल्प वेतन पर स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं, वे अदालतों में अपने न्याय और अधिकारों के लिए भी अवश्य लड़ेंगे। भारतीय संविधान में 'समानता' और 'समानता के अधिकार' शब्द का अध्ययन करने के बाद ही स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी राय लिखनी चाहिए। कैडर के प्रश्न को प्रस्तुत करके अनुबंध स्वास्थ कर्मियो के सेवा मे नियमित करने के फैसले को टालने से सरकार की इच्छा शक्ती मे कमियां दिखती हैं ? पिछले कई वर्षों से, अनुबंध कर्मचारियों के समायोजन का मुद्दा सरकार द्वारा विचाराधीन है। यह राय एडवोकेट चक्रधर मेश्राम ने व्यक्त की।