आशापुरा फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विभिन्न कार्य सीआरएस द्वारा किये गये।
आशापुरा उद्योग समूह द्वारा प्रबंधित आशापुरा फाउंडेशन द्वारा लखपत तालुक में सीएसआर के तहत विभिन्न गतिविधियों को नियमित किया जाता है। जैसे मताना मढ़, जुलराय, समजियारो, सयान-1-2, खरोदा, अशाल्डी, आशापार, भादरा, कोटडा मढ़, लैयारी, त्राम्बो, हरिपर, कालरावंध, रामपर, रावरेश्वर, सुजावंध, सुखपरवंध, खड़क, ऐड़ा, जांगडिया जैसे 21 स्कूलों में हर साल 9751 नोटबुक और 249 प्रवेश उत्सव किट प्रदान की जाती हैं। इन सभी गांवों में गर्भवती माताओं और शिशुओं को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें पौष्टिक कतला लड्डू दिया जाता है। पिछले दो वर्षों से दयापार के सरकारी पीएचसी के अस्पताल में प्रसव कराने वाली माताओं को कतला लाडू दिया जा रहा है। माता के मढ़ गांव में पिछले 10 वर्षों से सिलाई कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। सिलाई सीखकर 257 बहनें आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। समय-समय पर कुकिंग क्लासेस, ब्यूटी पार्लर क्लासेस, फैंसी कुशन क्लासेस आयोजित की जाती हैं।
आशापुरा फाउंडेशन की ओर से, लखपत तालुक के अंदरूनी गांव जुलराय, समजियारो, सयान-1-2, खरोदा, अशाल्डी, आशापर, भादरा, कोटडा मढ़, त्राम्बो, हरिपर, कालरावंध, रामपर, रावरेश्वर, सुजावंड, खड़क, ऐडा, जांगडिया, नारेडा ,बुढ़ा, दोलतपार, मोखरा, गोयला, जुनागैया, संभदा, विरानी, मुधन, सियोट, अटडा, सायरा, गुनेरी, उगेरवांड, उमरसर, बुट्टा, मुड़िया, कटिया, नरेडी, लक्ष्मीपर जैसे 37 गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं नियमित रूप से चलाई जा रही हैं। पिछले एक साल से एम्बुलेंस मेडिकल वैन है लक्ष्यपथना डॉ. हितेश जानी, डाॅ. करिश्मा नरवानी के साथ जुलराय और सायन में 'काली थी कुसुम' नाम का प्रोजेक्ट चल रहा है। जिसमें छोटे बच्चों को सुवर्णप्राशन इम्यून ड्रॉप्स दी जाती है और किशोरों और गर्भवती महिलाओं को डॉक्टरों द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाता है।
दवा देकर स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है। जुलराय गांव की बहनें गोबर से सीडबॉल बनाकर रोजगार करती हैं और उन्हीं सीडबॉल को रोपा जाता है।
स्वास्थ्य कार्यालय के टीबी मुक्त भारत अभियान से जुड़कर लखपत
तालुका के 45 लाभार्थियों को हर महीने पौष्टिक राशन किट दिए गए।
गायब शिक्षक को जुलराय प्राथमिक विद्यालय में उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा खरौदा में जरूरत के समय शिक्षक दिये गये।
लखपत तालुका में जिस भी गांव में मेडिकल वैन जाती है, वहां के स्कूलों में बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम अब तक लगभग 15 स्कूलों में किया जा चुका है। बाकी काम स्कूलों में किया जाएगा।'
आशापुरा फाउंडेशन द्वारा खनन क्षेत्र के लगभग 75 गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, वृक्षारोपण आदि परियोजनाएं चलायी जाती हैं। यह बात फाउंडेशन के प्रशासक ने कही!