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सरकारी नौकरी का आकर्षण खत्म होने वाला नहीं है

कुल मिला कर सरकारी नौकरी का आकर्षण खत्म होने वाला नहीं है। अब तो पेंशन के नियमों में भी ढील दे दी गई। ओपीएस में पेंशन की सारी रकम सरकार देती थी। एनपीएस और यूपीएस में कर्मचारी को दस प्रतिशत अंशदान। यूपीएस में सरकार का अंशदान बढ़ जाएगा और सरकारी खजाने पर बोझ भी। राज्य सरकारें भी ऐसा ही करने के लिए बाध्य होंगी लिहाजा उन पर भी बोझ बढ़ेगा।

दूसरी ओर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए पेंशन जैसी कोई व्यवस्था नहीं। ईपीएस में अधिकतम पेंशन मात्र साढ़े सात हजार रुपए जिससे
घर चलाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

पेंशन के लिए एक मात्र विकल्प एनपीएस का और उसमें भी नियोक्ता के अंशदान के बारे में जागरुकता नहीं। अगर व्यक्तिगत योगदान करने जाइए तो कर में कोई छूट नहीं। एनपीएस में व्यक्तिगत योगदान करने पर नई कर प्रणाली में कोई छूट नहीं। न स्वास्थ्य बीमा के लिए आयुष्मान भारत जैसी कोई योजना और न ही निवेश से मिलने वाली रकम पर आयकर में कोई छूट।

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