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उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 और सीबीएसई उपनियम: स्कूल फंड के हस्तांतरण पर सख्त नियम लागू, सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों से दिशा-निर्देश की पुष्टि।
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के उपनियमों ने निजी स्कूलों द्वारा फंड के हस्तांतरण पर कड़े नियम लागू किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ, जिसमें सी.जे.आई. वी.एन. खरे और सी.जे.आई. एस.एच. कपाड़िया शामिल थे, ने 27 अप्रैल 2004 को केस संख्या 2699/2001 में 'मॉडर्न स्कूल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य' के मामले में विभिन्न स्कूलों द्वारा दायर सभी सिविल अपीलों को खारिज कर दिया। इस निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया कि कोई भी स्कूल अपना फंड मूल सोसायटी को हस्तांतरित नहीं कर सकता।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच, जिसमें सी.जे.आई. एस.बी. सिन्हा, सी.जे.आई. एस.एच. कपाड़िया और साइरिक जोसेफ शामिल थे, ने 7 अगस्त 2009 को 'एक्शन कमेटी, गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल बनाम शिक्षा निदेशक, दिल्ली' के मामले में याचिकाकर्ता की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले में भी इस बात को दोहराया गया कि कोई भी स्कूल अपना फंड मूल सोसायटी को हस्तांतरित नहीं कर सकता।
सीबीएसई उपनियम, अध्याय 6, खंड 6.2 भी इस बात को स्पष्ट करता है कि संस्था से आय का कोई भी हिस्सा किसी व्यक्ति या इकाई को नहीं दिया जा सकता। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 के अनुसार, वित्तीय वर्ष के दौरान स्कूल की कुल आय का 15% से अधिक हिस्सा विकास निधि के रूप में योग्य शैक्षिक इकाई को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यह निधि केवल स्कूल के संचालन और शैक्षिक विकास के लिए उपयोग की जा सकती है, न कि किसी व्यावसायिक गतिविधि के लिए।
इन कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के चलते, अब कोई भी निजी स्कूल अपने फंड का दुरुपयोग नहीं कर सकता, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।