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मौलाना आजाद कॉलोनी हाजी सुहैल के घर बैठ टेलीकॉम कंपनियों को लगा रहा था करोड़ों का चूना, मास्टर माइंड राजू मंडल निकला बांग्लादेशी, यूं करता था ‘खेला’

गिरफ्तार राजू मंडल के साथ आज रांची पहुंची और नामकुम थाना के इंस्पेक्टर ब्रहमदेव प्रसाद और उनकी टीम के सक्रिय सहयोग और समर्थन से टीम ने नामकुम थाना अंतर्गत मन्नान चौक के पास मौलाना आजाद कॉलोनी, लेन नंबर 15 में हाजी सोहेल के किराए के मकान का पता लगाया। राजू मंडल ने 7500 रुपये महीने के किराए पर घर लिया था। मंडल ने सिम बॉक्स लगा रखे थे। वह बिजली, इंटरनेट और निष्क्रिय सिम कार्ड बदलने के लिए हफ़्ते में एक बार घर आता था।

हालांकि झारखंड में एजेंट कौन है, इस तथ्य को पुलिस ने फिलहाल गोपनीय रखा है।

ओडिशा पुलिस के द्वारा सिम बॉक्स रैकेट खुलासा मामले में ओडिशा पुलिस के स्पेशल स्कायड एसीपी हिमांशु स्वाई एवं एसीपी केपी मिश्रा के नेतृत्व में दस लोगों की टीम ओडिशा से राजधानी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र अंतर्गत मौलाना आजाद कालोनी पहुंची। मामले में भुवनेश्वर लक्ष्मीसागर थाना क्षेत्र अंतर्गत महादेव नगर से गिरफ्तार राजू मंडल को लेकर पहुंची पुलिस ने नामकुम ,लोअर बाजार थाना एवं खादगढ़ा ओपी पुलिस की सहायता से मौलाना आजाद कॉलोनी के रोड नंबर 15 स्थित हाजी सुहैल के घर में छापामारी की। जहां राजू मंडल ने भाड़े में फ्लेट ले रखा था।वहीं रांची पुलिस के डीएसपी मुख्यालय प्रथम अमर कुमार पांडेय, नामकुम थाना प्रभारी ब्रह्मदेव प्रसाद, लोअर बाजार थाना प्रभारी दयानंद, तकनीकी शाखा, सेल के लोग भी मौके पर पहुंचे और आवश्यक जांच की।

6 घंटे की छापामारी के बाद पुलिस ने उसके फ्लैट से 5 सिम सेटअप बॉक्स सहित अन्य सामान जब्त किया।शाम सवा सात बजे पुलिस जब्त सामानों का बड़ा थैला,एक सूटकेस,एक पिट्ठू बैग एवं एक इन्वर्टर सेट लेकर ऑटो से बाहर निकली। जिसके कुछ देर बाद सुरक्षा घेरे में राजू मंडल को लेकर निकली एवं अपने साथ ले गई।

ओडिशा पुलिस ने किया है सिम बॉक्स रैकेट का खुलासा

एसीपी ने बताया कि 16 अगस्त को उड़ीसा पुलिस ने सिम बॉक्स रैकेट का खुलासा करते हुए राजु मंडल को गिरफ्तार किया था। पांच दिन की रिमांड पर पूछताछ करने पर उसने भुनेश्वर ,कटक ,राँची में सिम बॉक्स संचालित करने की बात कही।उसकी निशानदेही पर पुलिस ने भुवनेश्वर से सात एवं कटक से पांच सिम सेटअप बॉक्स, दो रिजर्व सिम बॉक्स, सैकड़ों सिम, राउटर सहित अन्य सामान जब्त किया था राजू मंडल के इनपुट पर ही पुलिस मौलाना आजाद कालोनी पहुंची।

मास्टरमाइंड है बांग्लादेशी

राजू मंडल ने पूछताछ में बताया कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड अशदुर जमाल है, जो बांग्लादेश का रहने वाला है. बंगलादेश सहित अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन के बारे में एसीपी ने कहा कि अभी मामले की जांच चल रही है। जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा उन्होंने पूरे छापामारी में राँची पुलिस की कार्यशैली की सराहना की।राजू ने पूछताछ में बताया कि पूरे मामले में मास्टर माइंड अशदुर जमाल है जो बांग्लादेश का रहने वाला है।

क्या है सिम बॉक्स?

सिम बॉक्स एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसे सिम बैंक भी कहा जाता है। यह इंटरनेट बेस्ड एक हार्डवेयर डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल टेलीकॉम में डायरेक्ट जीएसएम कम्यूनिकेशन को टर्मिनेट करने के लिए किया जाता है।डिवाइस में एक साथ काफी संख्या में सिम कार्ड लगे होते हैं,जिससे इंटरनेशनल कॉल को स्थानीय जीएसएम कॉल में कन्वर्ट किया जा सकता है।इंटरनेशनल कॉल को फर्जी तरीके से स्थानीय नंबर से कन्वर्ट किया जाता है जिससे फोन रिसीव करने वाले को स्थानीय नंबर लगता है। इससे कॉल करने पर चार्ज कम लगते हैं। इससे टेलीकॉम इंडस्ट्री को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।

कपड़ा व्यवसाय के लिए 8000 प्रतिमाह किराए पर लिया था फ्लैट

राजू ने रांची में जिस फ्लैट से सिम सेटअप बॉक्स ऑपरेटर करता था उसने फ्लैट कपड़ा का व्यवसाय करने के लिए 8000 प्रतिमाह किराए पर लिया था। फ़्लैट मालिक यहां नहीं रहता। एक केयरटेकर के भरोसे फ्लैट हैं जिसमें और भी किरायदार रहते हैं।दिसंबर 2023 में अशदुर सिम बॉक्स सेटअप संचालित करने के लिए कटक आया था जहां राजू मंडल देखकर करता था सिम बॉक्स से जुड़ी किसी भी समस्या को हल करने और आवश्यक रखरखाव करने के लिए अक्सर भुवनेश्वर जाता था। इन उपकरणों का इस्तेमाल अक्सर मूल फ़ोन नंबर छिपाने और साइबर अपराध, अभद्र भाषा, आतंकवाद, जबरन वसूली और अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

कड़ी सुरक्षा के थे इंतजाम

रांची पुलिस के द्वारा रोड नंबर 15 स्थित फ्लैट में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। पुलिस मुख्य गेट पर तैनात थी किसी को भी प्रवेश नहीं करने दे रही थी।सूचना आग की तरह फैल गई थी। दो बजे से देर शाम तक स्थानीय लोगों की भीड़ जुटी रही सभी राजू की एक झलक देखना चाह रहे थे।

असदुर जमान अक्टूबर 2023 में अगरतला के रास्ते भारत में दाखिल हुआ और उस साल दिसंबर तक भुवनेश्वर में रहा। अपने प्रवास के दौरान, उसने मंडल को भुगतान किया और माना जाता है कि उसने दो और सिम बॉक्स स्थापित किए। इन अतिरिक्त सेटअपों को जल्द ही ध्वस्त किए जाने की उम्मीद है।

पुलिस राष्ट्रीय जांच एजेंसियों और इंटरपोल से सहायता लेने पर विचार कर रही है क्योंकि इस मामले में मुख्य संदिग्ध के रूप में एक बांग्लादेशी नागरिक शामिल है। इस सहयोग का उद्देश्य ऐसी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गतिविधियों के व्यापक निहितार्थों को संबोधित करना है। यह मामला सिम बॉक्स जैसी तकनीकों के कारण कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है, जो मूल फ़ोन नंबरों को अस्पष्ट कर देती हैं। ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल विभिन्न अवैध गतिविधियों के लिए तेज़ी से किया जा रहा है, जिससे अपराधियों को पकड़ने के प्रयास जटिल हो रहे हैं। राजू मंडल की गिरफ़्तारी और उपकरणों की ज़ब्ती से इस अवैध नेटवर्क को ध्वस्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। हाला कि, अधिकारी सतर्क हैं और इस रैकेट से जुड़े किसी भी शेष ऑपरेशन को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं। पुलिस इस नेटवर्क के संचालन और कनेक्शन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी रखे हुए है। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी इन जटिल सीमा पार अपराधों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकती है।

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