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||रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त|| 1-दिनाँक:-19/08/2024 सोमवार शुभ समय:-दोपहर 01:25 के बाद ध्यान दे:- 19-08-2024 सोमवार को दो

रक्षाबंधन पर्व निर्णय 19अगस्त 2024 सोमवार*

काशी पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पवित्र कार्य भद्रा रहित अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा में करने का शास्त्र सम्मत विधान है

*भद्रा द्वे न कर्तब्ये, श्रावणी फाल्गुनी तथा*,,,,,,,,,,,,,,

इस वर्ष 19अगस्त 2024ई , सोमवार को श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पवित्र कार्य होगा, परन्तु इस दिन दोपहर 1/25 मिनट तक भद्रा व्याप्ति रहेगी ।

*स्पष्ट है कि शास्त्रानुसार तो 19 अगस्त दोपहर 1 बजकर 25 मिनट के बाद ही अपराह्न काल में रक्षाबंधन का शुभ कार्य करना प्रशस्त होगा*।

पंजाब, हिमाचल, जम्मू आदि कुछ प्रान्तों में प्राचीन समय से ही परंपरा स्वरूप उदय व्यापिनी पूर्णिमा के दिन प्रात काल ही भद्रा आदि किसी अशुभ समय का विचार ना करते हुए रक्षाबंधन पर्व मनाने का प्रचलन है जो किसी भी रूप से शास्त्र सम्मत नहीं है भद्रा का विचार तो रक्षाबंधन में करना ही चाहिए जिसे हमारे शास्त्रों में अशुभ एवं त्याज माना है परंतु अति आवश्यक स्थिति बस यात्रा में भ्रमण में सुविधा उपलब्ध न होने पर फौजी आदि में ड्यूटी अधिकारियों में यदि भद्रा काल में ही रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य करने पड़े तो शास्त्र कारों ने भद्रा मुख काल को छोड़कर भद्रा पुच्छ काल में रक्षाबंधन आदि शुभ कार्य करने की आज्ञा दी है भविष्य पुराण के अनुसार भद्रा पुच्छ काल में दिए गए कृत्य में सिद्धि एवं विजय प्राप्त होती है जबकि भद्रा मुख में कार्य का नाश होता है

*पुच्छे जया वहा*:, *मुखे कार्य विनाशाय* ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

यहां यह समझ लेना चाहिए की मुहूर्त एवं संहिता ग्रन्थो में जो भद्रा के मुख को अशोक और कुछ को शुभ लिखा गया है वह आपात स्थिति के लिए ही है अन्यथा भद्रा का मुख के अतिरिक्त से सारा भाग निर्दोष मानना पड़ेगा जो की पूरी भद्र को सदोष बतलाने वाले असंख्य वाक्य के प्रतिकूल होगा इसलिए यह स्पष्ट है कि भादरा की मुख्य मात्रा को अशुभ और शेष भाग को निर्दोष मानने वाला नियम केवल आप अति आवश्यकता की स्थिति में ही ग्राह्य है आपात स्थिति में भद्रा मुख के अलावा शेष पूरा भाग यद्यपि ग्राह्य है फिर भी शास्त्र कारों ने भद्रा पुच्छ को प्राथमिकता दी है ।

*पुच्छे ध्रुवो जय* :

आदि वाक्यों से यही अभिप्राय निकलता है कि भद्रा के पुच्छ काल को हमेशा शुभ माना जाए पंडित रमा शंकर शास्त्री का कहना है कि इसी कारण यदि अत्यंत आवश्यक स्थिति हो तो 19 अगस्त को प्रातः 9:00बजकर 51 मिनट से 10:54 तक भद्रा पुच्छकाल में शुभ कार्य किया जा सकता है। परंतु 10:54 से 12:38 तक का समय भद्रा मुख काल का विशेष रूप से त्याग करना होगा स्नान दान एवं व्रत सहित श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त सोमवार को होगी रक्षाबंधन का परम पुनीत पर्व भी 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा भद्रा रहित दिन में 1:25 के बाद बहने अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधकर तथा भाई अपनी बहन को उपहार सम्मान देकर एक दूसरे के प्रति अपने परस्पर स्नेह भाव को प्रदर्शित करेंगे विप्रजन अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधकर उचित दक्षिणा प्राप्त करेंगे और आशीर्वाद देंगे । रक्षा सूत्र बांधते समय निम्नलिखित मंत्र पढ़ना चाहिए -

*येन बध्दो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन् त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।।*

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