कुचल देती हैं।
हक़ की आवाजें सरकारें इस तरियाँ कुचल देती हैं, जैसे रोडवेज़ की बसें गिलहरियाँ कुचल देती हैं।दिन भर बैठा है बंदा टीवी के डब्बे के आगे, समाचार वालों की भों भों उसका नज़रिया कुचल देती हैं।मैं ये कहना चाहता हूँ इन बिखरी हुई भेड़ों से, भेड़ें एक हो जायें तो गडरिया कुचल देती हैं।महेंद्र गुर्जर सबलपुरा