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रोज का अख़बार............. -डॉ परमानंद प्रसाद

पहले पन्ने पे मोदी-योगी-शाह
बीच के पन्नों में चोरी,डकैती,बलात्कार
और आखिरी पन्ने पे जापानी तेल का प्रचार
बस यही है रोज़ का अखबार।

पहले धर्म खतरे में था अब
BHEL, NTPC, ONGC, RAILWAY, BSNL, Air India,AUTO MOBILE, Banking Sector और देश के कारखानों के कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है।।

आज इंडियन एक्सप्रेस के पेज नंबर तीन पर बड़ा सा विज्ञापन छपा है। लिखा है कि भारतीय स्पीनिंग उद्योग सबसे बड़े संकट से गुज़र रहा है जिसके कारण बड़ी संख्या में नौकरियाँ जा रही हैं। आधे पन्ने के इस विज्ञापन में नौकरियाँ जाने के बाद फ़ैक्ट्री से बाहर आते लोगों का स्केच बनाया गया है। नीचे बारीक आकार में लिखा है कि एक तिहाई धागा मिलें बंद हो चुकी हैं। जो चल रही हैं वो भारी घाटे में हैं। उनकी इतनी भी स्थिति नहीं है कि वे भारतीय कपास ख़रीद सकें। कपास की आगामी फ़सल का कोई ख़रीदार नहीं होगा। अनुमान है कि अस्सी हज़ार करोड़ का कपास होने जा रहा है तो इसका असर कपास के किसानों पर भी होगा।

कल ही फ़रीदाबाद टेक्सटाइल एसोसिएशन के अनिल जैन ने बताया कि टेक्सटाइल सेक्टर में पचीस से पतास लाख के बीच नौकरियाँ गईं हैं। हमें इस संख्या पर यक़ीन नहीं हुआ लेकिन आज तो टेक्सटाइल सेक्टर ने अपना विज्ञापन देकर ही कलेजा दिखा दिया है। धागों की फ़ैक्ट्रियों में एक और दो दिनों की बंदी होने लगी है। धागों का निर्यात 33 प्रतिशत कम हो गया है। आज इंडियन ए

मोदी सरकार ने 2016 में छह हज़ार करोड़ के पैकेज और अन्य रियायतों का ज़ोर शोर से एलान किया था। दावा था कि तीन साल में एक करोड़ रोज़गार पैदा होगा। उल्टा नौकरियाँ चली गईं। पैकेज के एलान के वक्त ख़ूब संपादकीय लिखे गए। तारीफ़ें हो रही थीं। नतीजा सामने हैं। खेती के बाद सबके अधिक लोग टेक्सटाइल में रोज़गार पाते हैं। वहाँ का संकट इतना मारक है कि विज्ञापन देना पड़ रहा है।

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