logo

वक़्फ क्या है?

वक़्फ क्या है? दरअसल यह शब्द "वक्फ" अरबी भाषा के "वकफा" शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना और "वक्फ" का मतलब है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना। दुनिया के हर समाज में स्वयं की संपत्ति और धन को कल्याणकारी और धार्मिक कार्य के लिए देने की व्यवस्था है। वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले अल्लाह के नाम पर दान करते हैं जोकि चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है। यही दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है।

दान की व्यवस्था हिंदुओं में भी है, वह अपना धन और संपत्ति ज्यादातर मंदिरों को दान कर देते हैं, जो बहुत अधिक कल्याणकारी सोच के होते हैं वह धर्मशाला बनवा देते हैं, वृद्धाश्रम बनवा देते हैं, इत्यादि इत्यादि। सिखों में भी तमाम तरह से कल्याणकारी कार्य किए जाते हैं उनमें सबसे प्रमुख सालों चलने वाला लंगर तो होता ही है "खालसा" के नाम पर तमाम संगठन ऐसे सामाजिक कल्याणकारी कामों में लगे होते हैं और यह सब वह अपने समाज से क्राउड फंडिंग लेकर ही करते हैं। ईसाई भी चैरिटी करते हैं, इसके लिए ईसाईयों ने चर्च को माध्यम बनाया और इसके सहारे शिक्षा, चिकित्सा जैसे कार्य कर रहे हैं।

धार्मिक रूप से प्रमुख फ़र्ज़(अनिवार्य) और गणितीय आधार पर दान करने की व्यवस्था इस्लाम के अतिरिक्त और किसी धर्म में नहीं है, और ना ही इस दान को नियंत्रित करने की वक़्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था किसी के पास है। इस्लाम ने "ज़कात" की व्यवस्था दी और अपनी कमाई का चालिसवां हिस्सा यानि 2.5 प्रतिशत, सोने चांदी, पशुओं की संख्या के एक स्तर के बाद दान करने को अनिवार्य अर्थात फ़र्ज़ बनाया और कुरान में नमाज़ के साथ साथ ज़कात का ज़िक्र करके इसकी अहमियत बताई।

इन सभी संपत्तियों को नियंत्रित और देखरेख करने के लिए साल 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने "वक्फ अधिनियम" पारित किया जिसके बाद इसका केंद्रीयकरण हुआ। धीरे-धीरे पिछले 70 सालों में वक्फ़ बोर्डों के पास वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं‌ और वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति करीब 9.4 लाख एकड़ है। यह ज़मीन भारत में सेना, रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास तीसरे नंबर पर सबसे अधिक है।

वक्फ के पास काफी संपत्ति है, जिसका रखरखाव ठीक से हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई संस्थाएं हैं जिन्हें वक्फ बोर्ड कहते हैं। तकरीबन हर स्टेट में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड हैं जिनका काम उस संपत्तियों की देखभाल, और उसकी आय का सही इस्तेमाल करना है। उत्तर प्रदेश में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं। इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना, मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं।

केंद्र ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है। वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड्स हैं और इन सभी के हेडक्वार्टर ज्यादातर राज्यों की राजधानियों में हैं।

वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता है और मुसलमानों को कानूनी अधिकार देता है जिससे इस्लामिक व्यवस्था का यह धर्मार्थ कार्य बिना कानूनी पचड़े में पड़े चलता रहे। वर्तमान सरकार इसे रेग्यूलेट करना चाहती है ताकि वक़्फ बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके। जबकि मुस्लिम रहनुमाओं का मानना है कि सरकार प्रशासनिक अड़ंगा डालना चाहती है और उसका उद्देश्य इस व्यवस्था को भी कानूनी पचड़े में डालने का है। उनका तर्क है कि क्या सरकार ऐसा कानून लाएगी जिसमें किसी हिन्दू को मंदिर में दान करने के लिए, सिखों को लोक कल्याणकारी कार्य करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट और सरकार के पास अर्जी लगानी पड़े और तमाम कानूनी प्रक्रिया से गुज़ारा जाए, तो क्या होगा?

दरअसल समय के साथ साथ विभिन्न कारणों से वक्फ एक्ट में बदलाव होते रहे हैं। इन्ही मे से एक साल 2013 में यूपीए सरकार द्वारा किया गया संशोधन था जिसके बाद वक्फ बोर्ड को यह अधिकार मिल गया कि अगर उसे लगे कि कोई जमीन उसकी है, तो उसे कोई सबूत नहीं देना होगा, बल्कि सारे दस्तावेज दूसरी पार्टी को देने होंगे‌ जो ज़मीन पर दावेदारी कर रहा है। अर्थात जो अब तक दावेदार रहा है। ऐसे में जिनके पास पक्के कागज नहीं और यदि कोई सिद्ध नहीं कर सका कि कागज़ के आधार पर ज़मीन उसकी है तो वह ज़मीन वक़्फ बोर्ड की हो जाती है। यह अधिकार 1950 की धारा 40 के माध्यम से बोर्ड को मिला हुआ है। इसके लिए वक्फ बोर्ड का एक नोटिफिकेशन अंतिम माध्यम होता है जिसके विरुद्ध किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती। यह तत्कालीन सरकार द्वारा वक़्फ बोर्ड को देश भर में मुकदमों से बचाने के लिए किया गया था। मगर वक्फ बोर्ड पर इसी कारण आरोप लगे कि वह दूसरों की संपत्ति को मनमाने ढंग से अपना घोषित कर देता है, ऐसा दावा किया जाता रहा है कि अधिकांश मामलों में उन संपत्तियों के दावेदार उस संपत्ति पर अपने अधिकार को लेकर कोई कागज़ नहीं दिखा सके।

पहले, केवल नोटिस भेजने भर से ही जमीन पर बोर्ड का हक हो जाता था। लेकिन मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने के लिए केवल अधिसूचना जारी करना काफी नहीं है बल्कि इसके लिए वैधानिक प्रक्रिया को पूरा करना आवश्यक है, जिसमें दो सर्वे, विवादों का निपटारा और राज्य सरकार और वक्फ को एक रिपोर्ट जमा करना शामिल है, उसके बाद उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों के तहत कार्रवाई होने लगी। ऐसे मामलों में बोर्ड उस संपत्ति के तत्कालीन मालिक को नोटिस भेजता है. अगर इस पर कोई विवाद पैदा होता है, तो बोर्ड की ओर से ही मामले की जांच की जाती है।

ज़मीन पर किसी के दावे के निपटारे के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी भी होते हैं। ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है। अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों से हो। वक़्फ बोर्ड में ऐसे मामलों के निपटारे के लिए एक सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है। इस सर्वे कमिश्नर को नए कानून में खत्म कर दिए जाने का प्रविधान है और इसके स्थान पर जिलाधिकारी को सारे अधिकार दे दिए गए हैं। इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं। इस बिन्दु में भी 2 महिला सदस्य और 2 गैर मुस्लिम सदस्यों के नामित किए जाने का प्रविधान रखा गया है।

भारत वर्ष के मुसलमानों की रहनुमाई करने वाला धार्मिक तबका मुसलमानों के लिए बनाए अपने कानूनों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता। यही वजह है कि न ही मुस्लिम समाज में कोई सुधार इन लोगों ने किया और न ही किसी पहले की सरकारों को करने दिया। अल्लाह के बनाए कानून के नाम पर अपने समझ से इसकी व्याख्या की और समाज को गुमराह रख कर अंधेरे में भटकाए रखा। इसका जीता जागता उदाहरण तीन तलाक का तरीका, गुजारे भत्ते ना देना इत्यादि हैं जो कि कुरान की गलत व्याख्या के कारण सदियों से मुस्लिम समाज को झेलना पड़े।

मोदी सरकार इसी को नियंत्रण में लेना चाहती है, और वह मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन करने की बात कर रही है। केंद्र ने वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को कम करने के लिए एक प्रस्ताव दिया है इसमें वक्फ की संपत्ति का वैरिफिकेशन अनिवार्य होगा। ऐसा ही वैरिफिकेशन उन संपत्तियों के लिए भी होगा, जिन पर निजी प्रॉपर्टी होने का शक है और सालों से वहां रहते आ रहे लोगों ने दावा किया है। दरअसल सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनमी को समाप्त करना चाहती है। इसमे कुछ बिंदुओं पर दोबारा से विचार करके यदि संशोधित बिल लाया जाए तो यकीनन वक्फ बोर्ड में चल रही अनियमितायो पर अंकुश तो लग ही सकता है।

25
6735 views