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तिहरा हत्याकांड: आबूलेन की पहली मुलाकात से उम्रकैद की सजा तक; हिंदू नाम बताकर शीबा का इजलाल से कराया था परिचय
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वरिष्ठ संवाददाता ,अरुण मिश्रा
बेगुनाहों के खून से हाथ रंगने वाला अरबों की संपत्ति का मालिक इजलाल कुरैशी सोमवार को अदालत के कटघरे में मुजरिम बनकर खड़ा था। इस वारदात के बाद वो अर्श से फर्स पर आ गया। हाई प्रोफाइल जिंदगी जीने वाली कान्वेंट में पढ़ी लिखी एमबीए पास शीबा सिरोही कटघरे के पास मुंह छिपाए महिला पुलिसकर्मियों का हाथ थामे बैठी हुई थी। सजा सुनने के बाद उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अब उसे ताउम्र जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। शीबा रोते हुए 18 साल पहले आबूलेन पर हुई इजलाल से उस पहली मुलाकात को याद कर रही होगी...काश वो दिन नहीं आता तो आज जेल की सलाखें उसका घर ना बनती।
पिता सेना में कर्नल। मां मेरठ के नामचीन सीबीएसई स्कूल की प्रिंसिपल। पति सेना में कैप्टन। कान्वेंट स्कूल में पढ़ी लिखी शीबा सिरोही हाई प्रोफाइल परिवार से ताल्लुक रखती थी। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना। एमबीए की डिग्री। घूमने का शौक। महंगे कपड़े पहनना उसका शगल था। पिता की मौत हो चुकी थी। मां ने मेरठ से दुबई का रुख कर लिया। वो वहां एक शिक्षण संस्थान में उच्च पद पर नौकरी करने लगीं।
शीबा सिरोही के पति से विचार नहीं मिले। बात कोर्ट तक पहुंच गई थी। शीबा अब गंगानगर के राधा गार्डन में अकेली रहने लगी। बात साल 2006 की है। शीबा सिरोही अपनी एक सहेली के साथ आबूलेन स्थित नामचीन ब्रेकरी पर गई थी। वहां शीबा को उसकी जान पहचान का एक युवक मिला। उसके साथ इजलाल कुरैशी भी था। शीबा के उसी जानकार ने इजलाल से मुलाकात कराई।
दूसरी मुलाकात में इजलाल ने ले लिया था फोन नंबर
बकौल मुकदमे के विवेचक रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर डीके बालियान को शीबा ने उस वक्त जो बयान दिया...उसके मुताबिक इजलाल को शीबा के एक परिचित ने हिंदू नाम बताकर मिलवाया था। दूसरी मुलाकात में इजलाल ने शीबा का नंबर ले लिया। बातें होनी लगी। अकेली रह रही शीबा को आने-जाने में कहीं दिक्कत नहीं थी। इजलाल का रुआब और पैसे देखकर शीबा उसके करीब पहुंचती गई। शीबा को इजलाल के असली नाम का जब तक पता चला तब तक बाद बहुत आगे बढ़ चुकी थी।
किस्सा अब सरेआम हो चुका था। इजलाल शीबा को लेने राधा गार्डन जाता। कार में बिठाकर निकल जाता था। कभी रात को गाड़ी पहुंच जाती। पूरी काॅलोनी में इस बात का पता चल चुका था कि शीबा का जिसके साथ आना-जाना है, वो कोतवाली के गुदड़ी बाजार का मीट कारोबारी इजलाल कुरैशी है। बात अब यहां तक आ गई थी कि दूसरे समुदाय के युवक का इस तरह से आकर युवती को ले जाना कालोनी का माहौल खराब कर रहा है।
शीबा से राधा गार्डन मिलने जाने पर हुई थी इजलाल की पिटाई
यहीं से कहानी में टिवस्ट आया। मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाले राधा गार्डन के एक लड़के ने यह बात अपने जानकार सुधीर उज्ज्वल, सुनील ढाका और पुनीत गिरि को बताई। उनसे कहा कि दूसरे समुदाय का लड़का काॅलोनी में आकर शीबा को साथ बिठाकर ले जाता है, इसने पूरी बिरादरी की नाक कटवा रखी है। इसके बाद सुनील, सुधीर और पुनीत इजलाल को टोकते हैं, लेकिन वह नहीं मानता। बात मारपीट तक पहुंच जाती है।
इजलाल के पैर में फ्रेक्चर भी होता है। यहीं से अदावत शुरू हो जाती है। इसके बाद कई बार इजलाल पक्ष और तीनों युवकों का आमना-सामना होता है। फिर कुछ लोगों की मध्यस्थता के बाद तीनों की इजलाल से करीबियां हो जाती हैं। शीबा इजलाल को तीनों से बात करने से रोकती थी। लेकिन इजलाल के दिमाग में कुछ ओर ही चल रहा था। वो पिटाई का बदला लेना चाहता था। आखिरकार 22 मई 2008 की रात वो दिन आ गया जिसका इजलाल को इंतजार था।
तिहरे हत्याकांड में इजलाल और शीबा समेत 10 आरोपियों को उम्रकैद
16 साल पहले कोतवाली के गुदड़ी बाजार तिहरे हत्याकांड में अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-2 पवन कुमार शुक्ला की कोर्ट ने सोमवार को इजलाल कुरैशी और शीबा सिरोही समेत 10 आरोपियों को उम्रकैद सुनाते हुए 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने एक अगस्त को सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था।
फैसले के दौरान कचहरी में बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात रही। सभी 10 आरोपियों को जेल भेज दिया गया। तिहरे हत्याकांड में 24 जुलाई को फैसला सुनाया जाना था। इससे पहले अदालत में अभियुक्त अब्दुल रहमान उर्फ कलुआ के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र दिया था कि इस मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में ट्रांसफर प्रार्थना पत्र 128 सन 2024 विचाराधीन है।
मुकदमे की सुनवाई के लिए किसी अन्य जिले में कराने की मांग की गई। सुनवाई करते हुए तथा उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन ट्रांसफर प्रार्थना पत्र में नियत तिथि 30 जुलाई 2024 की होने की चलते न्यायालय ने निर्णय के लिए 31 जुलाई की तिथि नियत की थी। 31 जुलाई को कोर्ट ने फैसला फिर एक दिन के लिए टाल दिया था।
एक अगस्त को कोर्ट ने इजलाल कुरैशी पुत्र इकबाल, अफजाल पुत्र इकबाल, महराज पुत्र मेहताब, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र उस्मान, बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श पर हत्या समेत तमाम धाराओं और शीबा सिरोही पर हत्या के लिए उकसाने के आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया था। हत्याकांड के दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो चुकी है। एक आरोपी शम्मी जेल में है, उसका ट्रायल चल रहा है। परवेज को नाबालिग बताए जाने के चलते हाईकोर्ट में अपील पेंडिंग है।
कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा बनी थी हत्याकांड की वजह
इजलाल और सेना के कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा सिरोही की दोस्ती थी। सुनील ढाका, सुधीर उज्ज्वल और पुनीत गिरि इसका विरोध करते थे। बाद में इजलाल ने तीनों युवकों से समझौता कर लिया था। शीबा को इजलाल का तीनों से मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों की हत्या के लिए उकसाया। 22 मई 2008 की रात इजलाल ने तीनों को बात करने के बहाने बुलाया और मार डाला।
सजा सुनते ही रोने लगी शीबा सिरोही
आरोपी इजलाल कुरैशी, अफजाल, महराज, कल्लू, इजहार, मन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन को पुलिस कस्टडी में कटघरे में लाया गया। शीबा सिरोही को महिला पुलिसकर्मियों ने कटघरे के बराबर में बिठाया। जैसे ही कोर्ट रूम में उम्रकैद सुनाई गई तो शीबा सिरोही फफक-फफकर रोने लगी।