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नवविवाहिताओं के गीतों से गुंज रहा है शहर से गांव तक के गलियारे और मंदिर

दरभंगा:-मिथिला के प्रसिद्ध पावन मधुश्रावणी पर्व का बारह दिन हो गए आगमी बुधवार को समापन होगा।अपने सुहाग की रक्षा व पति के दीर्घायु जीवन के लिए नवविवाहिताओं के द्वारा मधुश्रावणी पर्व मनाया जाती हैं।मधुश्रावणी व्रत विवाह के बाद के पहली सावन में शुरू किया जाता हैं।नवविवाहिता इस दौरान प्रतिदिन संध्या वेला में फुल लोढ़ने के लिए अपने सखियों के साथ अगल बगल गांवों के मंदिरों में जाती है और उसी फूल को दूसरे दिन पूजा के दौरान इस्तेमाल करती है।मधुश्रावणी पर्व में पूजा के दौरान बासी फूल चढ़ाने की परंपरा है।जिला से लेकर गांवों में गीत-नाद से माहौल भक्तिमय बना हुआ हैं। नवविवाहिता स्वीटी झा ने बताया कि मधुश्रावणी पर्व में मुख्य रूप से भगवान शिव-पार्वती,नाग-नागिन,मैना-विषहरी की पूजा किया जाता है। मायके में रहने वाली नवविवाहिताएं यह पूजन अपने ससुराल के तरफ से आई सामग्रियों से ही करती हैं।यहां तक कि ससुराल का वस्त्र ही धारण करती हैं।समापन के दिन टेमी दागने के साथ मधुश्रावणी पर्व संपन्न होता है।समापन दिन प्रसाद के रूप में अंकुरित चना का वितरण किया जाता हैं।

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