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उत्तर प्रदेश से बिहार तक बिना परमिट की दौड़ रहीं लग्जरी बसें
*👉उत्तर प्रदेश से बिहार तक बिना परमिट की दौड़ रहीं लग्जरी बसें*
*क्रासर*
*👉सरकार को प्रतिमाह लाखों रुपये राजस्व का नुकसान, जिम्मेदारों ने फेरीं नजरें ,मौन*
*👉आरटीओ विभाग और स्थानीय पुलिस विभाग के मैनेज की बातचीत बना चर्चा का विषय*
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सलेमगढ, कुशीनगर।हाइवे पर तेज रफ्तार दौड़ रही लग्जरी बसें जहां सरकार को लाखों रुपये राजस्व का चूना लगा रहे, वहीं इन बसों से यात्रा कर रहे यात्रियों का जीवन भी संकट में रहता है। जबकि, संबंधित विभाग के जिम्मेदारों ने बस स्वामियों के प्रभाव में आंखें बंद कर ली है।
बताते चले की बिहार प्रान्त के विभिन्न जनपदों से दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ़ आदि को एनएच 28 के रास्ते उत्तर प्रदेश की सीमा तरयासुजान थानाक्षेत्र के बहादुरपुर चौकी ,तमकुहीराज से होकर जाने वाले लग्जरी बसों के पास मात्र टूरिस्ट परमिट है, । जो एक निश्चित स्थान से दूसरे स्थान पर नियमित नहीं चल सकतीं। टूरिस्ट परमिट का मतलब की उक्त बस कुछ खास सवारी को लेकर तय स्थानों का भ्रमण मात्र करा सकती है। जबकि एक निश्चित मार्ग पर यात्रा करने के लिए बस जितने भी प्रान्तों में जाएगी। उस मार्ग के लिए परमिट लेना होता है और उसके लिए हर माह एक निश्चित रकम चुकानी पड़ती है।
*ई-चलान का नहीं है इन्हें भय*
नये नियम के अनुसार, अधिकारी इन बसों को रोकते और उसका ई-चलान करते हैं, जिसका इन बसों के स्वामियों पर कोई असर नहीं पड़ता। जानकार बताते है कि ऐसी सैकड़ों बसें है, जिनका लाखों रुपये का दर्जनों बार ई-चलान हो चुका है, लेकिन वे उसे जमा ही नहीं करते हैं।
परिवहन एवं पुलिस विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इन बसों का संचालन एक रैकेट के द्वारा किया जाता है, जो इन बसों का इंट्री कर उन्हें एक कोड देते हैं। वहीं उनका सबसे बड़ा परमिट यात्रा का अधिकार पत्र है। बीते वर्ष गोरखपुर में ऐसे ही एक रैकेट का खुलासा हुआ था, जिसके डायरी से बड़े खुलासे हुए थे।
*क्षमता से अधिक यात्री करते हैं सफर*
इन लग्जरी बसों में 40 से 50 यात्रियों के बैठने के निश्चित स्थान होता है, लेकिन इन बसों से एक सौ से ऊपर यात्री यात्रा करते हैं। किन्हीं कारणों से इन बसों के दुर्घटना ग्रस्त होने और टूरिस्ट परमिट होने और यात्रियों के रजिस्ट्रेशन न होने के कारण कई तरह के लाभ मिलने में दिक्कत आती है। फिर भी जिम्मेदार अधिकारीगण मौन धारण कर लेते आखिरकार इस मौन धारण के पिछे कौन सा कारण है पुलिस विभाग हो या आरटीओ विभाग सब के मिलीभगत को नकारा नही जा सकता है ।
इस सम्बन्ध में एआरटीओ कुशीनगर मुहम्मद अजीज का कहना है कि बसों पर यात्रियों के होने के नाते उन्हें ई चलान कर छोड़ दिया जाता है। खाली बसें मिलने पर उन्हें बन्द किया जाता है।और अभी देवरिया एआरटीओ और गोरखपुर एआरटीओ हम सभी की डियुट गोरखपुर में ही चल रही है हम सभी गोरखपुर में कार्यवाई कर रहे है ।