अभिनन्दन पत्र कैसे लिखें ?
अभिनन्दन पत्र कैसे लिखें।लेखक घेवरचन्द आर्य पालीसम्मान पत्र एवं अभिनन्दन पत्र दोनों एक दूसरे के पूरक है। दोनों ही शब्दों का एक ही भाव होता है सामने वाले के गुण कर्म स्वभाव और कार्यों का मूल्यांकन करके शुभकामनाएं देना।लेकिन दोनों में रात के समय का अन्तर होता है सम्मान पत्र यह आमतौर पर समाज संगठन द्वारा दिया जाता है। पत्र की शुरुआत व्यक्ति का नाम और चरित्र लक्षण की जाती है। इसके बाद उन्होंने समाज संस्थाओं को दिए गए योगदान उपलक्ष्यों की सराहना की है। वह सहायता भले ही आर्थिक हो या शारीरिक श्रम जैसे भामाशाह और ऊर्जावान कार्यकर्ता। जो समाज सेवा का कार्य करे अपने समाज का नाम रोशन करें। या समाज के कार्यों में आर्थिक सहयोग करें। पत्र की आत्मा में समाज संगठन द्वारा उस व्यक्ति के लिए भविष्य की शुभकामनाओं की जाती है।जबकि अभिनन्दन पत्र किसी विशेष व्यक्ति, किसी धन्य पूज्य या प्रतिष्ठित व्यक्ति के गुणों और कार्यों के आधार पर प्रशंसा तथा श्रद्धा का उल्लेख किया जाता है। जिससे समाज संगठन को प्रेरणा एवं ऊर्जा मिलती है। जो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिया जाता है।प्राचीन काल में भी राजा महाराजाओं के समय में सम्मान एवं कवि आने वाले के गुण चरित्र का बखान करते थे। इसी प्रकार के 'अग्रबंधन' लिखित अभिनंदन एवं सम्मान पत्र देने का प्रचलन बढ़ गया है। जो किसी समाज संस्था द्वारा अपने सेवानिवृत्त या वरिष्ठ कलाकार या अतिथि अतिथियों को दिया जाता है।यहां पाठकों की सुविधा के लिए सम्मान पत्र/अभिनन्दन पत्र का नमूना लिया जा रहा है।#सम्मान_पत्र#अभिनन्दन_पत्र अपनी टिप्पणी लिखें...