धर्म यही कहता है बंधुओं मृतक भोज मत खाओ।
धर्म यही कहता है बंधुओं मृतक भोज मत खाओ । घेवर चन्द आर्य पाली द्वारा समाज हित में जारी।. ॥ दोहा ॥अंतिम संस्कार में नहीं पहुँचा कोई पीर ! मृत्युभोज पर देखा हमने उमड़ पडी भीड़ !. ॥ कविता॥जिस आंगन में पुत्र शोक से बिलख रही माता, वहां पंहुच कर स्वाद जीभ का तुमको कैसे भाता ?पति के चिर वियोग में व्याकुल युवति विधावा रोती, बड़े चाव से पंगत खाते तुम्हें पीड़ा नहीं होती ।मरने वालों के प्रति अपना सद्व्यवहार निभाओ, धर्म यही कहता है बन्धुओं मृतक भोज मत खाओ।चला गया संसार छोड़ कर जिसका पालन हारा, पड़ा चेतना हीन जहाँ पर वज्रपात दे मारा ।खुद भूखे रह कर भी परिजन तेरहवाँ खिलाते, अंधी परम्परा के पीछे जीते जी मर जाते ।इस कुरीति के उन्मूलन का साहस कर दिखलाओ, धर्म यही कहता है बन्धुओ, मृतक भोज मत खाओ ।कृपया इस पर अपनी राय दें। अगर आप मृत्यु भोज को एक सामाजिक कुरिति मानते हैं। तो आज ही मृतक भोज नहीं खाने और खिलाने का संकल्प लेकर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने।