logo

देश में आज से लागू होंगे तीन नए आपराधिक कानून, जानिए कितना दिखेगा बदलाव

एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नए कानून में दर्ज किए जाएंगे। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को अपनी मंजूरी दी थी।

भारत में भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड, संक्षेप में आईपीसी) मुख्य आपराधिक कानून है। इसके अलावा इसमें भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन ईवीडेंस एक्ट) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, संक्षेप में सीआरपीसी) भी शामिल होकर मुकम्मल आपराधिक कानून बनाते हैं। साक्ष्य अधिनियम में किसी भी मुकदमे में सबूत की श्रेणी में कौन-कौन से तथ्य आते हैं, कौन गवाह बन सकता है, गवाही कैसे ली जाए इन सब चीजों का वर्णन है। सीआरपीसी में कोई आपराधिक मुकदमा कैसे चले, पक्षकारों को समन कैसे दिया जाए, जमानत की अर्जी किस प्रकार दी जाए, अग्रिम जमानत किन मामलों में मिले, न्यायाधीश आपराधिक मुकदमों की सुनवाई कैसे करें, उनके विवेकाधिकार क्या, क्या हैं, इन सब बातों का वर्णन किया गया है।

एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।

आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय है। आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।

पुलिस के लिए टाइमलाइन तय करने के साथ ही अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई काम किये गए हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि अगर आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेगा तो सजा कम होगी।

अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा

नये कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।

दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय

लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है लेकिन इससे ज्यादा नहीं। नये कानून में दया याचिका के लिए भी समय सीमा तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।

कौन सा कानून लेगा किसकी जगह

- इंडियन पीनल कोड (आइपीसी)1860 की जगह लागू हो रहा है- भारतीय न्याय संहिता 2023

- क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह लागू हो रहा है- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023

- इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह लागू हो रहा है- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023

धारा 302 की जगह धारा 101, धोखाधड़ी की सजा धारा 420 में नहीं, 316 में

फिल्मों के कोर्ट सीन में अक्सर हम यह डॉयलाग सुनते हैं कि ताजीरात-ए-हिंद की धारा 302 के तहत दोषी पाए जाने पर मुजरिम को उम्रकैद या फांसी की सजा दी जाती है। आम जीवन में भी लोगबाग कत्ल या हत्या को धारा 302 से जोड़ कर देखते हैं। नए आपराधिक कानून में अपराध की धाराओं की संख्या बदल दी गई है। अब हत्या की सजा धारा 101 के तहत सुनाई जाएगी। अब धारा 302 में चेन स्नैचिंग य छीना-झपटी की सजा मिलेगी।

376 को आम जन बलात्कार या रेप की धारा के तौर पर जानते थे, लेकिन अब बलात्कार की धाराएं 63, 64 और 70 (गैंगरेप) होंगी। राजद्रोह नहीं अब देश द्रोह, छीना-झपटी और ट्रांसजेंडर के प्रति अपराध भी नए कानून में जोड़े गए हैं।

118
7159 views