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नीतीश कुमार ने संजय झा को क्यों दी इतनी बड़ी जिम्मेदारी? कौन हैं संजय झा?

We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / गौतम कुमार

नई दिल्ली:- जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय झा को शनिवार को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिली। संजय झा को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया। नीतीश कुमार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी पार्टी नेताओं ने समर्थन किया। तो आइए जानते हैं कि संजय झा कौन हैं। आखिर क्यों नीतीश ने उन्हें जेडीयू में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। नीतीश के इस कदम के क्या हैं राजनीतिक मायने।



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शनिवार सुबह जब जेडीयू के नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए दिल्ली में जुटने लगे, तो कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेने वाले हैं। उन्होंने संजय झा को जेडीयू का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर यह साबित भी कर दिया। दूसरी ओर, संजय झा ने पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर नीतीश कुमार का आभार जताया। उन्होंने उन पर भरोसा जताने के लिए पार्टी के अन्य नेताओं का भी आभार जताया। संजय झा ने इस बारे में ट्विटर पर पोस्ट भी किया है।

कौन हैं संजय झा?

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से पहले भी संजय झा जेडीयू में काफी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफी करीबी और विश्वस्त बताया जाता है। वे जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं। वे बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। संजय झा की गिनती मिथिला के बड़े नेताओं में होती है। वे जेडीयू का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। संजय झा को राजनीति की अच्छी समझ है। राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पैदा होने वाली स्थितियों को भांपने में वे काफी माहिर हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि नीतीश सरकार के बड़े फैसलों में संजय झा की राय अहम मानी जाती है। बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिन बातों पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया, उनमें आगामी झारखंड और बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले या विशेष पैकेज और नीट पेपर लीक मामले की गहन जांच की मांग शामिल है। बैठक में संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा गया कि पार्टी कार्यकर्ताओं को अनुशासित सिपाही की तरह काम करना चाहिए। लोकसभा चुनाव में सफलतापूर्वक लागू की गई समन्वय और संवाद की रणनीति का इस्तेमाल 2025 के विधानसभा चुनाव में भी किया जाएगा। प्रत्येक बूथ के लिए 5 से 10 कार्यकर्ताओं के नाम पहले से तय करने का निर्णय लिया गया। साथ ही प्रदेश और जिला पदाधिकारियों को बूथ प्रभारियों के संपर्क में रहने का निर्देश दिया गया।



संजय झा को क्यों मिली यह जिम्मेदारी?

संजय झा को जेडीयू का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक दांव चला है। आइए उनके इस फैसले के पीछे के राजनीतिक मायने समझते हैं। जेडीयू और बिहार की राजनीति में संजय झा की बड़ी भूमिका है। बिहार में जेडीयू के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ फिर से जुड़ने के पीछे संजय झा ही हैं। कहा जाता है कि जेडीयू के महागठबंधन से अलग होने में उनकी अहम भूमिका थी। संजय झा के बीजेपी नेताओं से अच्छे संबंध हैं। यही वजह है कि जेडीयू और बीजेपी एक-दूसरे के इतने करीब हैं। पार्टी बिहार ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार में भी बीजेपी के साथ है।


संजय झा को बड़ी जिम्मेदारी देकर नीतीश ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में विश्वास रखते हैं और आने वाले दिनों में भी बीजेपी के साथ संबंध अच्छे बने रहने चाहिए। इस साल झारखंड और अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। आम चुनाव में अपने अच्छे प्रदर्शन से खुश जेडीयू भी इन चुनावों के लिए अभी से रणनीति बनाने पर जोर दे रही है। पार्टी को संजय झा में काफी संभावनाएं दिख रही हैं कि वह चुनाव में पार्टी को सफलता दिलाएंगे। चूंकि संजय झा के बीजेपी नेताओं से अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के नीतीश के लक्ष्य में संजय झा कितने अहम साबित होते हैं।

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