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नहीं रहे काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी, निधन से शोक में डूबी काशी; लंबे समय से थे बीमार

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी नहीं रहे। वह कई महीनों से न्यूरो संबंधित रोग से ग्रस्त थे और ओरियाना अस्पताल में भर्ती थे। वहीं उन्होंने बुधवार की शाम लगभग पौने पांच बजे अंतिम सांस ली। अस्पताल से उनका शव टेढ़ीनीम स्थित उनके आवास पर लाया गया है। उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उनके निधन का समाचार मिलते ही काशी के धार्मिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

दादा ने नाम दिया था कुलपति
डॉ. कुलपति तिवारी का जन्म 10 जनवरी 1954 को शुभ मुहूर्त में काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत पं. महावीर प्रसाद तिवारी के आंगन में पिता डॉ. कैलाशपति तिवारी व मां रामा देवी की गोद में हुआ था। बालक की वैभवशाली जन्मकुंडली देखकर ज्योतिषाचार्य दादा ने कुलपति नाम दिया।

पूर्व महंत की शिक्षा से जुड़ी जानकारी
छह वर्ष की उम्र में कालिका गली स्थित श्रीविश्वनाथ सनातन प्राथमिक विद्यालय से उन्होंने आधुनिक शिक्षा का विधिवत आरंभ किया। यहां कक्षा पांच तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत कुलपति तिवारी ने काशी के कमच्छा स्थित सेंट्रल हिंदू स्कूल (सीएचएस) में प्रवेश लिया।

कक्षा छह से दस तक की परीक्षा में प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी रहने वाले कुलपति तिवारी ने उच्च शिक्षा के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।

बीकाम. और एमकाम. करने के बाद भी सामाजिक सूत्रों को समझने की जिज्ञासा लिए कुलपति तिवारी ने समाजशास्त्र विषय से एमए. किया और विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र के प्रकांड विद्वान प्रो. सत्येंद्र त्रिपाठी के मार्गदर्शन में ‘श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना और प्रकार्य’(धर्म के समाजशास्त्र के अंतर्गत एक शोध) विषय पर शोध करके डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

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