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सेहत के लिए अमृत की तरह है योग

नमस्कार, आइमा मीडिया में आपका स्वागत है।


हर वर्ष 21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस साल 10वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम स्वयं और समाज के लिए योग रखी गई है।

इस दिन दुनियाभर में घर घर में योग की ज्योति प्रज्जवलित की गई हैं, जिसमें करोड़ों लोग भाग ले रहे हैं। आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली में स्वस्थ रहने और बीमारियों को भगाने के लिए प्राणायाम और योग को अमृत समान माना गया है। यही एक ऐसा निरोगी कार्यक्रम है, जिसमें एक पैसा खर्च नहीं होता। हमारी आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली ने हमें अनेक बीमारियों का शिकार बना दिया है। इन बीमारियों पर हमारे कठिन परिश्रम से अर्जित कमाई का एक बड़ा भाग व्यय हो जाता है।

योग से बिना कोई राशि खर्च किये हम तन और मन को स्वस्थ रख सकते हैं। बीमारियों को दूर भगा सकते हैं। आज योग और प्राणायाम ने देश और दुनिया में अपना शासन स्थापित कर लिया है। बच्चे से बुजुर्ग तक ने निरोगी रहने के लिए योग को अपने दैनंदिन कार्यों में शामिल कर लिया है। योग सिर्फ आसन, प्राणायाम ही नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है। हमारी भागदौड़ भरी जीवन शैली और खानपान की गलत आदतों की वजह से हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल न रखने की वजह से हमारे शरीर में तनाव, थकान, चिड़चिड़ाहट जैसी कई मानसिक और शारीरिक बीमारियां घेर लेती हैं, जिससे हमारा तन,मन दूषित हो जाता है। इसके साथ ही शरीर भी बेडोल हो जाता है। शुरू में हम अपने शरीर और स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान नहीं देते, जब पानी सिर से ऊपर निकल जाता है और हम कईं प्रकार की व्याधियों के शिकार हो जाते हैं तो हमें योग और प्राणायाम का ध्यान आता है और फिर शरीर को चुस्त और बीमारियों से मुक्त रखने लिए हम योग का सहारा लेते है। योग अब सम्पूर्ण संसार में चर्चा में आ गया है। यह एक ऐसी विधा है जो बिना एक पैसा खर्च किये हमारे लिए उपयोगी है।योग हजारों साल से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है। ये भारत की धरोहर है। योगासन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सहज, सरल और सुलभ है। इसके लिए धन की आवश्यकता नहीं है। यह अमीर, गरीब सबके लिए बराबर है।

योगासनों में जहाँ माँसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली शारीरिक क्रियाएँ करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर तनाव, खिंचाव दूर करने वाली क्रियाएँ भी होती हैं।

इससे शारीरिक थकान मिटने के साथ-साथ आधुनिक जीवन शैली की विभिन्न बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है। इससे शरीर पुष्ट होने के साथ पाचन संस्थानों में विकार उत्पन्न नहीं होते। मोटापा कटता है।

शरीर सुडौल बनता है। निश्चय ही योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान है। योगासन हमारे शरीर के विकारों को नष्ट करता है। नेत्र ज्योति बढ़ाता है, योग हमारे तन और मन दोनों का ध्यान रखता है और विभिन्न बीमारियों से मुक्त रखता है। शारीरिक स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए योगासनों का अपना महत्व और उपयोगिता है।

आसनों से शारीरिक सौष्ठव के साथ-साथ श्वास-श्वास की प्रक्रिया और रक्त संचार आवश्यक और नियमित रूप से बना रहता है, जो स्वस्थ तन-मन के लिए बेहद जरूरी है। योग की जरूरत और महत्ता को विश्व के चिकित्सकों ने भी एक मत से स्वीकारा है और यह निर्विवाद रूप से माना है कि विभिन्न बीमारियों से बचाव के लिए योग का उपचार वरदान साबित होगा। योग का शाब्दिक अर्थ तन और मन को प्रसन्न रखना है। योग हमारे देश में कोई नई प्रणाली नहीं है। इसे हमने अपनी जीवन शैली के रूप में अपनाया है। प्राचीन काल में दवाओं का प्रयोग न के बराबर होता था।

जड़ी-बूटियाँ और औषधीय पौधे और योग ही प्रचलित थे जो शरीर को स्वस्थ रख कर निरोग रखते थे और रोग को भगाते थे। उन्हें अपनाकर हम शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहते थे। योग और प्राणायाम का स्वास्थ्य रक्षा में भारी योगदान है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। यदि हमारा शरीर पूरी तरह स्वस्थ होगा तो निश्चय ही मन भी प्रसन्न और प्रफुल्लित होगा। योगासनों को सीखने से पूर्व आवश्यक सावधानियाँ भी रखनी चाहिए। सही आसन ही प्रयोग में लाने चाहिए।

योगासन शौच क्रिया और स्नान से निवृत्त होने के बाद किया जाना चाहिए। यह समतल जमीन पर आसन बिछाकर करना चाहिए। योगासन के लिए खुला और हवादार स्थान होना परमावश्यक है।


अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आइमा मीडिया परिवार की ओर से सभी साधकों को हार्दिक शुभकामनाएं।


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