आम आदमी पार्टी के दुर्दिन शुरू ?
जनसंघर्ष से निकली आम आदमी पार्टी इस समय दुर्दिन में है। सब को चोर और खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले पार्टी के संस्थापक अरविन्द केजरीवाल इस समय जेल में बंद हैं और पार्टी के बाकी नेताओं पर भी गिऱफ्तारी की तलवार लटक रही है। प्रशांत भूषण, आशुतोष और कुमार विश्वास जैसे मीडिया फ्रेंडली नेता केजरीवाल से अलग हो चुके हैं।
कांग्रेस ने देश की आ़जादी के बाद पार्टी को भंग करने की गाँधी की सलाह नहीं मानी वैसे ही आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अन्ना ह़जारे की सियासत से दूर रहने की बात स्वीकार नहीं की। यह कहा जाये तो गलत नहीं होगा कि इन दोनों ही पार्टियों ने अपने पितृ पुरुषों की सलाह को पूरी तरह नजरअंदाज़ किया।
वर्तमान समय में दिल्ली में जल संकट को लेकर कांग्रेस और आप में सड़कों पर संघर्ष छिड़ गया है। दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर हार के बाद अन्ततोगत्वा कांग्रेस और आप गठबंधन से अलग हो ही गए। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले में पार्टी चारों तरफ से घिर गईं है। यह सर्वविदित है आप का जन्म ही कांग्रेस के खिलाफ हुआ था।
कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी के नेताओं ने दिल्ली की सड़कों पर लम्बा संघर्ष किया था। अन्ना आंदोलन से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी का गठन किया गया था। दिल्ली के लोगों ने आप को सिर माथे पर बैठाकर दिल्ली का ताज सौंपा था। इस बार लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने सत्ता के लिए कांग्रेस से बेमेल गठबंधन कर अपने सिद्धांतों को त्यागने में देर नहीं किया। दिल्ली की सीटों पर हुआ यह गठबंधन लोगों को हजम नहीं हुआ और सातों लोकसभा सीटों पर यह गठबँधन हार गया।
हार को आप नेता पचा नहीं पाए और कांग्रेस से अलग होने में ही अपनी भलाई समझी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनावों को लेकर दिल्ली में गठबंधन किया था। दिल्ली की सात में से चार सीटों पर आम आदमी पार्टी ने और तीन पर कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 2019 की तरह इस बार भी सातों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया और इस गठबंधन का भी कोई फायदा दोनों पार्टियां नहीं उठा सकी। आप वैसे ही इस समय संकटग्रस्त है। आप के सुप्रीमों और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपने साथियों सहित जेल में बंद है। उन पर शराब घोटाले का संगीन आरोप है। इनके अलावा जो बचे हुए हैं, उनके खिलाफ कोई न कोई जांच चल रही है।
अब देखना होगा कि भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी आम आदमी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में कितनी कामयाब होती है और जनता का कितना समर्थन प्राप्त कर पाती है। आगे दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस चुनाव में कांग्रेस विधानसभा की आधी सीटें मांग रही थी, जिस पर आप सहमत नहीं थी और इसी कारण गठबंधन धराशायी हो गया। इसी के साथ दिल्ली में जल संकट को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन छेड़ दिया। इस समय हालत यह है कि दिल्ली में जल संकट से निपटने के लिए आम आदमी पार्टी के तौर तरीके से असंतुष्टि जताने के लिए कांग्रेस पार्टीपूरे दिल्ली में मटके फोड़कर विरोध प्रदर्शन कर रही है।
उधर, आम आदमी पार्टी की ओर से भी ये स्पष्ट कर दिया गया है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव वह अकेले लड़ेगी। कांग्रेस के साथ सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया गया था। दिल्ली विधानसभा के चुनाव 2025 की शुरुआत में होनेवाले हैं। अब देखना यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगा पाते हैं अथवा भ्रष्टाचार की दलदल में अपने साथ साथ पूरी आम आदमी पार्टी को भी डुबो देते हैं।