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भारत के संविधान को छंदोबद्ध कर अवधेश ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड


भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। विश्व के प्रथम छंदबद्ध भारत का संविधान में मूल संविधान के 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित हैं एवं 12 अनुसूचियाँ हैं, इनको 2110 दोहे, 422 रोला एवं 24 अन्य छंदों में इस प्रकार लिखा गया है कि मूल अर्थ एवं भाव में कोई अंतर नहीं आने दिया है, गेयता होने से स्कूल एवं कॉलेज के छात्रों को संविधान को पढ़ना एवं याद करना आसान होगा । क़ानूनी प्रक्रिया से जुड़े लोगों के लिए भी छंदोबद्ध भारत का संविधान अत्यंत उपयोगी होगा । इसके सृजन में भारत के 18 राज्यों के अलावा चार देशों के 142 साहित्यकार शामिल हुए। त्रिसंपादक मंडल में प्रमुख संपादक डॉ ओंमकार साहू मृदुल, संपादक डॉ सपना सक्सेना दत्ता "सुहासिनी" , सह संपादक डॉ मधु शंखधर "स्वतंत्र" हैं । छंदबद्ध भारत का संविधान 'गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया है । दिनांक 15 जून 2024 को भव्य पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह हिंदी भवन विष्णु दिगम्बर मार्ग नई दिल्ली में कार्यक्रम के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ श्याम सिंह 'शशि', विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेश सिंह शौर्य 'प्रियदर्शी' (पुलिस प्रशासनिक अधिकारी गृहमंत्रालय), डॉ संतोष खन्ना (पूर्व न्यायाधीश), शकुंतला कालरा (वरिष्ठ साहित्यकार) , चेतन आनंद (कवि एवं पत्रकार), आलोक कुमार (भारत प्रमुख गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड) आदि की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
इस भव्य आयोजन में शिवपुरी मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार अवधेश सक्सेना को गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड अवार्ड से सम्मानित किया गया । अवधेश ने संविधान के अनुच्छेद 230 से 235 को दोहा एवं रोला छंदों में छंदोबद्ध किया है ।
साहित्य के क्षेत्र में निरंतर साधनारत अवधेश सक्सेना राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार पूर्व में भी प्राप्त कर चुके हैं । अवधेश की अब तक 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं एवं 15 पुस्तकें प्रकाशन के लिए तैयार हैं । नोशन प्रेस चेन्नई से प्रकाशित अवधेश की ग़ज़लों की पुस्तक हज़ारों सवाल का विमोचन भी इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया हुआ । आयोजन के दूसरे सत्र में अवधेश ने अपनी एक ग़ज़ल सुनाई जिसे सुनकर उपस्थित कवियों ने वाह वाह करते हुए तालियाँ बजाईं । साहित्यकारों के साथ अवधेश के परिजनों एवं मित्रों ने भी उनकी इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं हैं ।

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