संस्कारजनित विद्या एवं परवरिश से उपजे चितवृती के कारण ही भिन्न भिन्न विचार बनते हैं तथा उन्हीं से उत्प्रेरित होकर लोग अपने अपने व्यापार में लिप्त रहते हैं।