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भाजपा को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की नसीहत



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क्या भाजपा और उसके वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। संघ प्रमुख ने नागपुर में आयोजित कार्यंकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय के समापन समारोह में कईं मुद्दों पर बात की। आइए, पहले बात करते हैं कि सर संघचालक ने कहा क्या? मणिपुर में एक वर्ष बाद भी शांति स्थापित नहीं होने पर भागवत ने बीते सोमवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि, 'संघर्ष प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि, 'मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगता था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है।'

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि, 'अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं।' हाल में हुए लोकसभा चुनावों के बारे में भागवत ने कहा कि, 'नतीजे आ चुके हैं और सरकार बन चुकी है इसलिए क्या और ​कैसे हुआ आदि पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है।' उन्होंने कहा कि, 'संघ कैसे हुआ, क्या हुआ जैसी चर्चाओं में शामिल नहीं होता है। संगठन केवल मतदान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने का अपना कर्तव्य निभाता है।' सर संघचालक ने कहा कि, 'चुनाव सहमति बनाने की बड़ी प्रक्रिया है। संसद में किसी भी प्रश्न के दोनों पहलुओं पर चर्चा होती है। यह एक व्यवस्था है। वास्तव में सहमति बने, इसलिए संसद है, किन्तु चुनाव प्रचार में एक-दूसरे लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग, झूठ प्रसारित करना.. यह ठीक नहीं है।'


उन्होंने कहा कि, 'चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा। जिस प्रकार प्रचार के दौरान समाज में मनमुटाव की शंका उत्पन्न हुई, इसका ख्याल नहीं रखा गया। संघ को अनावश्यक इसमें घसीटा गया.. यह अनुचित है। समाज ने अपना मत दे दिया। चुनाव में हम भी लगते हैं। इस बार भी लगे, परंतु सब काम मर्यादा का पालन करते हुए करते हैं।' संघ प्रमुख ने चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

यदि देखा जाये तो मोहन भागवत की नसीहत सराहना योग्य है। उन्होंने देर से ही सही, पर सही बातें कहीं। पर सवाल उठता है कि उन्होंने एक साल तक क्यों इंतजार किया? मणिपुर तो एक साल से जल रहा था, यह बातें उन्होंने अब क्यों कहीं? क्या वे चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे थे। बीते लोकसभा चुनाव में आरएसएस और भाजपा के बीच मनमुटाव साफ दिख रहा था। जेपी नड्डा ने तो खुले आम कह दिया था कि, 'भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है। उन्होंने तब क्यों नहीं प्रतिक्रिया व्यक्त की? भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने संघ की चर्चा तक नहीं की और प्रधानमंत्री ने भी पूरे चुनाव में मोदी की गारंटी के नाम पर चुनाव लड़ा। क्या यह सही नहीं कि संघ ने इस चुनाव में खुलकर काम नहीं किया? कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि आज भी संघ और मोदी एक हैं। आप जनता के गुस्से को देख रहे हैं। समझ रहे हैं और कहीं आप उन्हें शांत करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं। यह किसी से छिपा नहीं कि मोदी सरकार में संघ ने अपने लोगों को हर जगह फिट कर रखा है और वे मलाई खा रहे हैं। फिर भी हम भागवत जी के विचारों का स्वागत करते हैं।

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1 comment  
  • Srinivas D

    SANGH KAE SOCH VICHAR RAHETAE HAI USKO BHI MANYATA DAENI CHAYIYA.