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गो माता की जय कर्म से करो, नारों से नहीं

गो माता की जय कर्म से करो, नारों से नहीं । इस समय गो माता रक्षा की गुहार लगा रही है कि अब आप रक्षा करो प्रभु , अपने सब को मेरा दूध पीना तो बता दिया पर इन्हें डण्डा किसने पकड़ा दिया ?  भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में गाय को माता कहकर संसार को एक संदेश देने का प्रयास किया था परंतु अफसोस आज का हिंदू भगवान कृष्ण के उस संदेश को भी नहीं समझ सका, जिसे स्वयं नारायण ने मां का स्थान दिया हो, वह आज सड़कों पर प्लास्टिक खा रही है ।  लोगों की गाड़ियों से जख्मी हो रही है।

बड़े बड़े अमीर जमींदार/डेयरी वाले उसका दूध पीने के बाद उसे चुपके से सड़क किनारे आवारा की तरह छोड़कर आधी रात को भाग जाते हैं और हमारी सरकारें उसी गाय के नाम पर करोड़ों रुपये  टैक्स एकत्रित कर रही है तो मन में बहुत खिन्नता आती है कि कैसे लोग हैं हम कि जिस धर्म को महान बनाने के लिए लड़ाइयां लड़ते हैं दूसरों को नीचा तक बताने का प्रयास करते हैं उसी धर्म की साधारण सी शिक्षा को समझ नहीं पाए। स्वयं नारायण के संदेश को समझ नहीं पाए।

  धन्य हैं वो लोग जो सड़क पर बेसहारा गाय को देख कर दो रोटी तो डाल देते हैं या गोशाला में जा कर हरा चारा, दवाई का प्रबंध तो कर देते हैं , इन अमीर जमींदारों और सरकारों से साधारण लोग ही भले हैं ,  गोविन्द गोधाम लुधियाना  ही नहीं आस पास के कई शहरों से जख्मी गो माता को ले कर इलाज करती है आप सबका सहयोग मिलता है तभी ये सेवा हो रही है गो माता की सेवा करने वालों का नारायण जी भला अवश्य करेंगे। जरा आप भी इस बारे में विचार कीजिए!!
                                                            प्रस्तुति- नरेश जैन दुग्गड़
                                                                  लुधियाना (पंजाब)

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