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घघर नदी में अवैध रूप से मिट्टी खनन का कार्य जारी, प्रशासन मौन (राजेश खारडू)

*घघर नदी में अवैध रूप से मिट्टी खनन का कार्य जारी, प्रशासन मौन*

[हनुमानगढ़ जिले में घघर नदी से प्रशासन कि छत्रछाया में खनन माफियाओं के द्वारा मशीनों से अवैध रूप से नदी के अंदर से मिट्टी निकालने का काम जोरों पर चल रहा है। मगर जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिस कारण इन माफियाओ के हौसले बुलंद है ओर बिना किसी रोक टोक के धड़ल्ले से अवैध रूप से घघर नदी से मिट्टी खनन किया जा रहा है। इस नदी से कई वाहनो ट्रैक्टर ट्राली, डम्पर,व ट्रकों द्वारा खनन मिट्टी भरकर निकासी हो रही है मगर कोई कार्यवाही करने को तैयार नही है। कुल मिलाकर इस समय *अंधेर नगरी चौपट राजा* वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक कार्यवाही करता है और कुम्भकर्णी नीद से जागता है।]

हनुमानगढ़। ✍️ राजेश खारडू।

जिले में इन दिनों मिट्टी खनन का कारोबार बिना किसी रोक टोक के चल रहा है।भोर होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं बंजर भूमि से तो कहीं खेतों में एवं घघर नदी में जेसीबी लगाकर मिट्टी खनन का कार्य शुरू हो जाता है।इतना ही नहीं मिट्टी ढोने के लिए सर्वाधिक कृषि कार्य के लिए पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रालियों का प्रयोग नियम विरुद्ध किया जा रहा है।खनन विभाग सब कुछ जानते हुए भी इसे रोकने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है,जबकि पुलिस कहती है,कि अवैध खनन रोकना उनका काम नहीं है।मिट्टी माफिया किसी नियम कानून की परवाह किए बगैर अवैध रूप में मिट्टी खनन कराने में लगे हुए हैं।
पीलीबंगा उपखंड क्षेत्र में कालीबंगा के पास घघर नदी व आस-पास के किनारे अक्सर कोई न कोई जेसीबी मिट्टी का खनन करते मिल जाएगा।
ग्रामीणों की मानें तो बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्राली, डम्पर,ट्रकों पर मिट्टी लदवाकर उन्हें ईंट भट्ठों पर उपयोग के लिए भेजा जा रहा है।लोगों का कहना है कि मनमाने तरीके से मिट्टी का खनन कराया जा रहा है।नियमों की अनदेखी कर मानक से अधिक मिट्टी की खोदाई की जा रही है।जिम्मेदारों की इस अनदेखी के कारण राजस्व को भारी हानि पहुंच रही है।भले ही शासन-प्रशासन की ओर से अवैध खनन पर लगाम लगाने का दावा किया जा रहा हो,लेकिन धरातल पर खनन का धंधा खूब फल-फूल रहा है।इससे खनिज संपदा के साथ-साथ राजस्व को चूना लगाया जा रहा है तो वहीं पर्यावरण को भी प्रदूषित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है।वही ग्रामीणों का कहना है कि सुबह करीब 9:00 से शाम करीब 9:00 बजे तक ट्रैक्टर ट्राली पीलीबंगा रावतसर सङक व कालीबंगा व पीलीबंगा गांव की सङको पर देखे जा सकते हैं। सूत्रों की माने तो पीलीबंगा पुलिस थाने के भी सामने से खनन माफिया के ट्रैक्टर ट्राली, व ट्रक डम्पर गुजरते हैं लेकिन नजरअंदाज कर दिया जाता है। संबंधित विभाग इन खनन माफियाओं के सामने नतमस्तक होता दिखाई दे रहा है।यही सब जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है। इसके बावजूद संबंधित विभाग सबकुछ जानकर अनजान बना हुआ है। इसे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

*वैध व अवैध ईंट भट्टो से वातावरण प्रदूषित*

आमजन जीवन की सांसों के लिए बड़ा खतरा बन चुके जिले के पीलीबंगा क्षेत्र के पीलीबंगा से रावतसर सड़क पर वैध व अवैध ईंट भट्टे जहां वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। वहीं, अवैध खनन मिट्टी से लदे भारी वाहन और मशीनों से कम क्षमता की ग्रामीण सडक़ों की हालत खराब हो रही है और राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान पहुंच रहा है। क्षेत्र में सर्वाधिक ईंट भट्टे पीलीबंगा से रावतसर सड़क मार्ग में संचालित हैं। जहां पिछले काफी समय से निरंतर जारी अवैध खनन के चलते अब खेतों की उपजाऊ मिट्टी समाप्त हो चुकी है। ऐसे में भट्टा मालिक इन मार्गों पर बसे गांवों के खेतों से मिट्टी का खनन कर भट्टों तक परिवहन करवा रहे हैं। मिट्टी से भरे डम्पर और ट्रेक्टर ट्रॉलियां दिन रात भट्टों तक सप्लाई कर रहे हैं। जिससे सडक़ों की हालत खराब हो रही है। इस सबके बाद भी खनन व परिवहन विभाग मौनमूक बना हुआ है।

*हाईवे सडक़ों पर भी मंडरा रहा खतरा*

हनुमानगढ़ सूरतगढ़ फोरलेन मार्ग सडक़ व पीलीबंगा से रावतसर सड़क के टोल कर्मियों ने बताया कि सडक़ की क्षमता 8 से 10 टन की होती है लेकिन इस मार्ग पर मिट्टी भरे डम्परों का वजन 60 से 70 टन होता है। ऐसे में ये नवीन सडक़ों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही छोटी ग्रामीण सडक़ों पर इनसे दुर्घटनाओं का खतरा भी हर पल मंडराता रहता है। इसके बाद भी इन्हें रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
*उठ रही धूल से लोगों की घुट रही सांसें*

खनन ओर उसके परिवहन के दौरान बड़ी मात्रा में धूल के गुब्बार सा यहां छा जाता है। जिसके कारण ही एयर क्वालिटी इंडेक्स जो अभी भी 400 के आसपास चल रहा है। यही धूल के कण सांसों के माध्यम में फेंफड़ों तक पहुंचकर लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं। इससे स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।

*अवैध ईंट भट्टा खत्म कर रहे नदी के तटों का अस्तित्व*

जिले के घघर नदी के आसपास गांव एवं नदी किनारे अवैध रूप से ईट भट्टों का व्यवसाय किया जा रहा है यह भट्टे न केवल पर्यावरण प्रदूषित कर रहे हैं बल्कि इससे मिट्टी का अवैध उत्खनन भी हो रहा है जहां ईंट भट्टा हैं वहां आसपास रहने वाले लोग भी धुआं निकलने के कारण काफी परेशान होते हैं वही संबंधित विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है और लगातार इन ईट भट्टों की लगातार संख्या बढ़ती जा रही है जिले के पीलीबंगा क्षेत्र के गांव कालीबंगा एवं गांव पीलीबंगा आदि गांव में जमकर ईंट भट्टा लगाए जा रहे हैं यह सब भट्टे घघर नदी के आसपास ही संचालित किए जा रहे हैं जिससे नदी का कटाव भी बढ़ता जा रहा है जिले में लगभग सभी ईट भट्टे घघर नदी बेल्ट में ही बने हुए हैं जिसके कारण से मिट्टी का बहुत मात्रा में कटाव हो रहा है बरसात के दिनों में जब नदी में बरसात का पानी आता है तो नदी के किनारों का टूटने का डर रहता है। वही ईट भट्टे ईंट को पकाने के लिए आग जलाते है जिसे उठने वाला जहरीला धुआं गांव का वातावरण भी दूषित कर रहा है। इन ईट भट्टों का संचालन करने वाले लोगों ने नदी और नाले के किनारे स्थित मिट्टी के खदानों में मशीनों से इस कदर खुदाई कर दी गई है कि जगह-जगह गहरी खांईया साफ दिखाई दे रही है। नदी में खुदाई करने से नदी के तटों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है एक बात यह भी जानना जरूरी है कि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 के तहत अवैध रूप से ईट भट्टे लगाना गंभीर अपराध है तथा भू राजस्व संहिता का उल्लंघन है

*ईट भट्टा संचालन करने के लिए क्या शर्ते हैं*

ईट भट्टा लगाने के लिए स्थान शहरी /नगरीय क्षेत्र तथा ग्रामीण बस्ती से दूर होना जरूरी है वहीं पर्यावरण विभाग की मंजूरी होना भी आवश्यक है मिट्टी उत्खनन के लिए खनिज राजसव विभाग तथा वन विभाग की स्वीकृति लेना जरूरी है राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त करना जरूरी है।

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