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यूपी में डूबी भाजपा की उम्मीद।


उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा के 370 पार की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। भाजपा और उसके नेताओं को आत्ममंथन की आवश्यकता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के आठ प्रतिशत मत कम होने के पीछे कई ठोस कारण है, जिसे न तो भाजपा ही और न चुनाव लड़ने वाले नेता समझाना चाहते हैं। आइए चुनाव को प्रभावित करने वाले कुछ मुद्दे जिन पर नेता विचार नहीं करना चाहते हैं।
पहला मुद्दा खेती-बाड़ी में लगे किसान मजदूर का गलत बिजली बिल के नाम पर शोषण। मीटर रीडर गलत तरीको से बिल तैयार कर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं जिसका समाधान जानबूझकर नहीं नहीं किया जाता और खामियाजा सरकार को उठाना पड़ता है उदाहरण के लिए कनेक्शन संख्या 1061736626 पर मीटर की गलत रीड़िग चढ़कर दिनांक 08-02-2024 को रुपये 8052.41 का बिल भेजा गया तथा 12 दिन बाद दिनांक 21-02-2024 को 15100.96 रुपये कर दिया गया। कई बार शिकायत करने के बाद आज तक यह बिल ठीक नहीं किया गया। हर गांव में बिजली उपभोक्ताओं की यही हालत है। बिजली कर्मचारियों की मनमानी भाजपा की हार कारण बनी।
छुट्टा पशुओं से किसान बेहद परेशान है, गौशालाएं बनने के बाद भी छुट्टा पशुओं की समस्या से निजात न मिल पाना किसानों की नाराजगी का कारण बना और भाजपा हार गई।
प्रदेश में लगभग तीन लाख वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालय है जिसके शिक्षकों को अखिलेश यादव की सपा सरकार में प्रोत्साहन के रूप में मानदेय मिला। वित्तविहीन शिक्षक प्रोत्साहन मानदेय से नाराज हुआ और अगले चुनावों में भाजपा पर भरोसा करके भाजपा के साथ गया। लेकिन वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय के प्रति भाजपा की उदासीनता ने वित्तविहीन शिक्षकों को नाराज कर दिया। वित्तविहीन शिक्षक एक बार फिर अखिलेश यादव से मानदेय की आस लगा रहें हैं तथा भाजपा से दूरी बना रहे हैं।
गन्ना किसानों को गन्ने का मूल्य उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिला जिसके कारण गन्ना किसान नाराज हो गए और भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा।
किसी भी राजनैतिक पार्टी का आज का कार्यकर्ता पहले से अधिक समझदार व पढ़ा लिखा है। वह चाहता है कि उनका नेता उन्हें नाम व चेहरे से पहचानें। लेकिन नेता कुछ चापलूस मतलबी छुट्भैय्यों के चंगुल में फंस कर उन्हें जानबूझकर नज़र अंदाज करते हैं। नज़र अंदाज का कारण चापलूसी करने वालों द्वारा समर्पित कार्यकर्ताओं की झूठी चुगली करना है। नेता चापलूसों की झूठी चुगली के जाल में फंस कर सच्चे समर्पित कार्यकर्ताओं को नाराज कर देते हैं। ऐसा समर्पित कार्यकर्ता नाराजगी में निष्क्रिय होकर बैठ जाता हैं। चापलूस अपना काम निकालते हैं और ग्राउण्ड स्तर पर कोई कार्य नहीं हो पाता है। समर्पित कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता भाजपा को भारी पड़ी।
इस वर्ष लम्बे समय से वर्षा नहीं हुई ऐसे में अनावश्यक रूप से बिजली की कटौती ने ग्रामीणों को नाराज किया। ऐसे में गठबंधन ने किसानों का वोट अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
भाजपा के नेताओं में आन्तरिक अन्त:कलह बहुत अधिक है जिसके कारण भीतर घात भाजपा की हार कारण बना।
प्रदेश का युवा रोजगार चाहता है। एक के बाद एक प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल माफिया की घुसपैठ के कारण परीक्षाओं का निरस्त होना भाजपा की हार का कारण बना।
आम जनता मोदी-योगी के चेहरों के अतिरिक्त अपनी पसंद का उम्मीदवार भी चाहतीं है। जनआकांक्षाओं के विरुद्ध पार्टी द्वारा थोपा गया प्रत्याशी भी भाजपा की हार का कारण बना।
गठबंधन के कारण ही सही भाजपा की केन्द्र मे सरकार बन रहीं हैं लेकिन यदि भाजपा ने आत्ममंथन कर इन मुद्दों को सुलझाने का कार्य नहीं किया तो आने वाले चुनावों में भाजपा को ओर अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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