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गलत नीतियों के कारण सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस, अब भाजपा का जीतना भी मुश्किल : अनिल कुमार

बेताब अहमद, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार

- बक्सर पहुंची बसपा सुप्रीमो ने अनिल कुमार को जिताने का किया आग्रह
-मिलकर नहीं बल्कि अपनी पार्टी के बलबूते अकेले चुनाव लड़ रही है बसपा

बक्सर लोकसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार अनिल कुमार ने कहा कि बसपा मिलकर नहीं बल्कि अकेले ही अपने पार्टी के बलबूते पर पूरी तैयारी के साथ यह चुनाव लड़ रही है. इसके साथ ही हमने टिकट बंटवारे के मामले में भी सर्व समाज के लोगों को उसी अनुपात में ही उन्हें उचित भागीदारी भी दी जिसको कामयाब बनाने के लिए पार्टी के लोग पूरे की जान से लगें तथा बक्सर से अनिल कुमार के साथ-साथ पूरे शाहाबाद के सभी प्रत्याशियों को विजयी बनाएं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्र तथा कई राज्यों की सत्ता से इसलिए बाहर हुई क्योंकि उसने गलत नीतियां बनाई तथा उसकी कथनी और करनी में काफी अंतर था. ठीक उसी तरह भाजपा की कथनी और करनी में भी अंतर है. ऐसे में इस बार सत्ता में वापस आना उसके लिए काफी मुश्किल होगा.


अनिल कुमार ने कहा कि आजादी के बाद शुरु में केंद्र व देश के अधिकांश राज्यों में भी ज्यादातर सत्ता कांग्रेस पार्टी के हाथों में केंद्रित रही, किंतु दलित आदिवासियों को केंद्र के साथ ही कई राज्यों की भी सत्ता से बाहर होना पड़ा. ऐसे में उनकी सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए हमें बीएसपी को बनाने की जरूरत पड़ी. अंग्रेजों के जाने के बाद आजाद भारत में जब केंद्र में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनी तो उस समय बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर आजाद भारत की पहली सरकार में लॉ मिनिस्टर बने थे. उन्होंने उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा पार्टी के लोगों को यह कहा था कि ऐसे वर्ग के लोग जिन्हें जिंदगी के हर पहलू में आगे बढ़ाने के लिये सरकारी नौकरियों में जो आरक्षण की सुविधा दी गई है उसका पूरा लाभ इन वर्गों को नहीं मिल पा रहा है. इसलिए केंद्र की सरकार को इनको सख्त कदम उठाने चाहिए. हिंदू कोड बिल के जरिए वह यह चाहते थे कि इस देश की महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर बराबर का हक मिले. आज भी कांग्रेस बीजेपी एंड कंपनी के लोग नहीं चाहते हैं कि इन वर्गों के लोगों को भारतीय संविधान के मुताबिक आगे बढ़ने का मौका मिले.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दोगली नीति तथा कथनी और करनी में अंतर होने की वजह से कांग्रेस केंद्र और ज्यादातर राज्यों की सत्ता से बाहर हुई है. अब पिछले काफी वर्षों से बीजेपी की जातिवादी एवं पूंजीवादी राजनीति तथा कार्य प्रणाली आदि से तथा उनकी कथनी व करनी में भी काफी अंतर दिख रहा है. इसी की वजह से ऐसा लगता है कि इस बार यह पार्टी भी यानी कि भारतीय जनता पार्टी भी केंद्र के सत्ता में आसानी से वापस आने वाली नहीं है. हालांकि यदि वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ हुई तो कुछ कहा नहीं जा सकता.

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