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*राजस्थान उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला*
35 साल पुराने बलात्कार के मामले में अभियुक्त बरी *
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय देते हुए दो अपील का निस्तारण किया। अभियुक्तों की ओर से पैरवी भावना चौधरी बलवदा व सुनील शेखावत ने प्रवीण बलवदा की ओर से की।
मामले के संक्षिप्त तथ्य यह है कि एक प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना किशनगढ़ अजमेर में 16-10-1989 में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आरोप था कि तीन सगे भाईयों में से एक ने पीड़िता से बलात्कार किया व अन्य दो ने मारपीट की।
अतिरिक्त सेशंस कोर्ट किशनगढ़ ने 30-11-1993 को निर्णय दिया कि अभियुक्त अजयपाल ने बलात्कार किया है व उसको सात साल के कठोर कारावास से दंडित किया और उसके दोनों भाइयों को मारपीट करने का दोषी पाया।
तीनों अभियुक्तों की ओर से दो अपील उच्च न्यायालय में पेश हुई। बलात्कार के अपराधी को बरी करते हुए मारपीट के अपराधियों की सजा बरकरार रखी गई ओर उनको जुर्माना लगाया गया।
भावना चौधरी बलवदा ने अभियुक्तों की ओर से बहस की कि अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है अतः उन्हें बरी किया जाए| बहस में एडवोकेट भावना चौधरी ने यह भी बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में भी किसी प्रकार की चोट पीढ़िता या अभियुक्त नहीं पायी गई है। डॉक्टर की रिपोर्ट से भी यह निष्कर्ष नहीं निकल सकता कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ है!